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हाईकोर्ट की फटकार: बच्चे जान जोखिम में डालें और प्रशासन सोता रहे, जवाबदेही से कोई समझौता नहीं

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जांजगीर-चांपा में तालाब में डूबकर 4 बच्चों की मौत और कांकेर जिले में स्कूली बच्चों के नाला पार करने की घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य शासन को कठघरे में खड़ा किया है। मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र में जवाब मांगा गया है। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 29 जुलाई 2025 तय की है।

भैंसतरा गांव की घटना पर कोर्ट का संज्ञान

जांजगीर-चांपा के बलौदा थाना क्षेत्र के भैंसतरा गांव में बीते शनिवार को स्कूल से लौटते समय तालाब में नहाने गए भाई-बहन समेत 4 बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच – मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्त गुरु – ने इसे जनहित याचिका के रूप में लेकर सुनवाई की। कोर्ट ने टिप्पणी की कि “स्कूल से लौटते वक्त बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।”

कांकेर में बच्चों का जोखिम भरा सफर

कांकेर जिले के केसालपारा गांव में बच्चों को स्कूल जाने के लिए हर दिन एक उफनता हुआ नाला पार करना पड़ता है। मिडिल स्कूल गांव में नहीं होने से 14 बच्चे रोजाना जान जोखिम में डालते हैं। एक वीडियो वायरल होने के बाद कोर्ट ने इस मामले को भी गंभीरता से लिया है।

कोर्ट का दो टूक आदेश:

दोनों मामलों पर राज्य सरकार से व्यक्तिगत शपथ पत्र में विस्तृत रिपोर्ट देने का आदेश मुख्य सचिव को स्वयं जिम्मेदारी लेकर जवाब देना होगा ,दोनों मामलों की अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी

हाईकोर्ट ने इन घटनाओं को “गंभीर प्रशासनिक चूक” मानते हुए कहा है कि बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा तक सुरक्षित पहुंच, और सरकारी जवाबदेही से कोई समझौता नहीं होगा।

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