14 साल के आदिवासी छात्र ने बनाया रिकॉर्ड, मलखंभ में तीन सालों में जीते 17 पदक
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का सबसे पिछड़ा हुआ क्षेत्र कहा जाने वाला अबूझमाड़ (Abujhmaad) अब नक्सल प्रभावित इलाका नहीं बल्कि मल्लखंभ गेम के खिलाड़ी मानू ध्रुव (Manu Dhruve) के नाम से पहचाना जाने लगा. इस आदिवासी छात्र ने महज 14 साल की उम्र में मलखंभ नेशनल चैंपियनशिप में 17 पदक हासिल करने का रिकॉर्ड बना लिया. इस खिलाड़ी ने राष्ट्रीय स्तर पर 8 मेडल और स्टेट लेवल पर 9 मेडल जीता है जिसमें 14 गोल्ड मेडल और 3 ब्रोंज मेडल शामिल है. बाल दिवस के मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने मानु ध्रुव को श्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में सम्मानित भी किया. अबुझमाड़ क्षेत्र के मानू ध्रुव ने मलखंभ खेल में राष्ट्रीय खिलाड़ी की जगह बना ली.
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र अबूझमाड़ में मौजूद असनार गांव के 14 साल के मानू ध्रुव ने महज 3 सालों में ही मलखंभ प्रतियोगिता में इतना नाम कमाया. अब यह खिलाड़ी राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नाम रोशन कर रहा है. एक किसान के घर जन्मे मानू धुर्व का बचपन से ही खेल के प्रति काफी लगाव रहा. खेल के प्रति रुचि को देखते हुए उसके पिता ने उसे नारायणपुर जिले के देवगांव पोटाकेबिन में भर्ती कराया और यहां मानू पढ़ाई के साथ-साथ अपने प्रशिक्षक मनोज प्रसाद के सहयोग से मलखंभ में भी जोर आजमायईश करने लगा. मानु ने बताया कि जिला स्तरीय कार्यक्रम में उसने इस मलखंभ खेल को देखा था.
छोटे-छोटे बच्चो को मलखंभ करते देख उसके मन में भी इस खेल के प्रति रुचि जागृत हुई. मानू के प्रशिक्षक मनोज ने बताया कि जब वे देवगांव के पोटा केबिन में बंधो का सलेक्शन करने गए तो मानु ध्रुव में इस खेल के प्रति लगाव को देखा तब से उसे वह प्रशिक्षण दे रहे हैं. प्रशिक्षक मनोज ने बताया कि घर में विषम परिस्थितियों से गुजरने के बावजूद उसने इस खेल में इतने सारे पदक जीतकर सिर्फ नारायणपुर ही नहीं बल्कि अपने राज्य का भी नाम रोशन किया. अब तक 3 सालों में मानू ध्रुव 17 राष्ट्रीय पदक से सम्मानित हो चुका है. वहीं मानु ध्रुव की प्रतिभा और हासिल पदकों के कारण भारतीय खेल प्राधिकरण (साईं ) द्वारा उसे 10 हजार रुपये प्रति माह छात्रवृत्ति भी दी जा रही है.