कोरोनारोधी वैक्सीन का लोगों पर बुरा असर

कोरोना महामारी से बचाव के लिए लोगों को लगाए गए टीकों का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. दुनिया के कई देशों में वैक्सीन की सुरक्षा पर किए गए अब तक के सबसे बड़े अध्ययन में यह दावा किया गया है. अध्ययन के अनुसार, वैक्सीन की वजह से न्यूरोलॉजिकल,खून और हृदय संबंधी बीमारियों में थोड़ी वृद्धि हुई. यह अध्ययन ग्लोबल कोविड वैक्सीन सेफ्टी प्रोजेक्ट के तहत ग्लोबल वैक्सीन डेटा नेटवर्क द्वारा किया गया है.
फाइजर, एस्ट्राजेनेका टीकों पर अध्ययन शोधकर्ताओं ने मुख्य रूप से फाइजर, बायोएनटेक एसई और मॉडर्ना द्वारा बनाए गए एमआरएनए वैक्सीन और एस्ट्राजेनेका द्वारा निर्मित वैक्सीन लिए लोगों पर अध्ययन किया है. शोध के अनुसार एमआरएनए वैक्सीन से महामारी की शुरुआत में दिल से संबंधित सूजन का खतरा तथा दिमाग में रक्त के थक्के का खतरा बढ़ गया था. एस्ट्राजेनेका के वायरल-वेक्टर टीकों के टीकाकरण न्यूरोलॉजिकल समस्या सामने आई जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाती है.
सबसे कम प्रभावित देशों में भारत
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार भारत में अबतक कोरोना टीके की 220 करोड़ डोज दी जा चुकी है. कोविड टीकाकरण की शुरुआत के बाद से अबतक करीब एक लाख साइड इफेक्ट के मामले सामने आए. भारत दुनिया में सबसे कम कोविड वैक्सीन से साइड इफेक्ट वाले देशों में से एक है.
डोज लेने के बाद प्रतिकूल प्रभावों की पहचान
शोधकर्ताओं ने कोरोना वैक्सीन लेने के बाद स्वास्थ्य पर पड़े 13 प्रतिकूल प्रभावों की पहचान की और पाया कि मायोकार्डिटिस, हृदय की मांसपेशियों में सूजन, एमआरएनए टीकों की पहली, दूसरी और तीसरी खुराक के बाद लगातार लोगों के लिए समस्या बनी. यह शोध 8 देशों अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, न्यूजीलैंड और स्कॉटलैंड में टीकाकरण किए करीब एक करोड़ लोगों पर किया गया है.
ऑक्सफोर्ड के टीके से दिमाग में ब्लड क्लॉट
शोधकर्ताओं के अनुसार ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित टीके से डोज लेने सेरेब्रल वेनस साइनस थ्रोम्बोसिस में तीन गुना वृद्धि से जोड़ा गया था. यह मस्तिष्क में एक प्रकार का रक्त का थक्का है. वायरल-वेक्टर टीकों के बाद रीढ़ की हड्डी में सूजन के मामले भी सामने आए. फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन के टीकाकरण के बाद एन्सेफेलोमाइलाइटिस के सात मामले देखे गए. यह शोध जर्नल वैक्सीन में प्रकाशित हुआ है.