
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कहा कि दुनिया में सभी देश और समाज एआई से उत्पन्न होने वाले नए खतरों तथा जोखिमों को लेकर जागरूक हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी चुनौतियों का प्रभावी समाधान केवल सामूहिक वैश्विक प्रयासों से ही संभव है.
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री ने बुधवार को नई दिल्ली में ‘ग्लोबल इंडिया एआई समिट’ का उद्घाटन किया. दो दिवसीय इस समिट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. इसमें एआई विशेषज्ञ और पॉलिसीमेकर्स से लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. अपने उद्घाटन भाषण में अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ‘इंडिया एआई मिशन’ को अगले दो से तीन महीने में पेश किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मिशन की नींव और सभी सात स्तंभों को स्थापित करने पर काम हो रहा है. एआई आर्थिक तथा सामाजिक बदलाव के लिए एक बहुत बड़ा साधन हो सकती है. साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देश इस नई प्रौद्योगिकी से होने वाले खतरों तथा जोखिमों को भी पहचानते हैं. ऐसी चुनौतियों का प्रभावी समाधान केवल सामूहिक वैश्विक प्रयासों से ही संभव है.
ओपनएआई के उपाध्यक्ष श्रीनिवास नारायणन ने ग्लोबल इंडिया एआई समिट को संबोधित करते हुए कहा कि एआई ने भारत में पहले से ही गतिशील उद्यमशीलता परिवेश को और गति दी है. उन्होंने कहा कि कृषि, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में एआई के अत्यधिक इस्तेमाल के कई उदारहण मौजूद हैं. नारायणन ने भारत के एआई मिशन की सराहना की और इसे न केवल ‘ग्लोबल साउथ’ बल्कि पूरे विश्व के लिए एक बेहतरीन मिसाल करार दिया.
कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि भारत एआई नवाचार में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है. इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी सचिव एस कृष्णन ने कहा कि एआई के बढ़ते प्रभाव और इसके दुष्प्रभावों को लेकर भय तो है लेकिन भारत की इस अवसर को भुनाने की क्षमता इस पर भारी पड़ती है.
इंडिया एआई मिशन
गौरतलब है कि मंत्रिमंडल ने इस साल मार्च में ‘इंडिया एआई मिशन’ के लिए 10,300 करोड़ रुपये से अधिक के आवंटन को मंजूरी दी थी. यह भारत के एआई परिवेश को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. अगले पांच वर्षों में दिए जाने वाले इस वित्तीय निवेश का मकसद इंडिया एआई मिशन के विभिन्न घटकों को बढ़ावा देना है.