भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित कजरी तीज का व्रत 12 अगस्त को रखा जाएगा। इसी दिन संकष्टी चतुर्थी भी मनाई जाएगी। कजरी तीज पर सुहागिन महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि, पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखकर विधिपूर्वक शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। सुहागिनें सोलह शृंगार कर गौरी-शंकर की पूजा करती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने की कामना से यह व्रत करती हैं। यह व्रत करवा चौथ की तरह शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर खोला जाता है। कजरी तीज को कजली तीज, बड़ी तीज, बूढ़ी तीज और सतूरी तीज के नाम से भी जाना जाता है।
बहुत सी जगहों पर महिलाएं घर में झूला डालकर उसका आनंद लेती हैं। इस दिन औरतें अपनी सहेलियों के साथ एक जगह एकत्र होती हैं और पूरे दिन कजली के गीत गाते हुए नृत्य करती हैं।
कजरी तीज की तिथि 11 अगस्त को सुबह 10.33 बजे से प्रारंभ होकर 12 अगस्त को सुबह 8.40 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, व्रत 12 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो 12 अगस्त को सुबह 11.52 बजे से 13 अगस्त को सुबह 5.49 बजे तक रहेगा। इस अवधि में पूजा करना शुभ माना गया है। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाएगा। इस दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना गया है। पूजा सामग्री व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा में श्रीफल, चंदन, गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद, पंचामृत, बेलपत्र, शमी के पत्ते, सुपारी, कलश, भांग, धतूरा, अक्षत (चावल), दूर्वा घास, घी और कपूर का प्रयोग करें। माता पार्वती को हरी साड़ी, चुनरी, बिंदी, चूड़ियां, कुमकुम, कंघी, बिछुआ, सिंदूर और मेहंदी अर्पित की जाती है। सुहागिन महिलाएं अपनी सामर्थ्य के अनुसार माता को अधिकाधिक सुहाग सामग्री अर्पित कर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।
पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
स्नान के बाद भगवान शिव और माता गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाएं या फिर बाजार से लाई मूर्ति का पूजा में उपयोग करें।
व्रती महिलाएं माता गौरी और भगवान शिव की मूर्ति को एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।
शिव-गौरी का विधि विधान से पूजन करें।
माता गौरी को सुहाग की 16 समाग्री अर्पित करें।
भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, गंगा जल, धतूरा, भांग आदि अर्पित करें।
चंद्रोदय के बाद खोला जाता है व्रत
यह व्रत काफी हद तक करवाचौथ की तरह होता है। इसमें पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को चंद्रोदय के बाद व्रत खोला जाता है। कजरी तीज के दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ा जाता है।