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भविष्य में भारत से कई छात्र अंतरिक्ष यात्री बनेंगे: शुभांशु शुक्ला

शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से रेडियो के माध्यम से बातचीत के दौरान स्कूली छात्रों के एक समूह से कहा, ‘आप में से कई भविष्य के अंतरिक्ष यात्री बन सकते हैं, चंद्रमा पर भी जा सकते हैं।’

कक्षीय प्रयोगशाला में 12 दिन बिता चुके शुक्ला मेघालय और असम के सात स्कूलों के छात्रों के साथ बातचीत कर रहे थे, जो अंतरिक्ष यात्री से बात करने के दुर्लभ अवसर के लिए शिलांग में उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनईसैक) में एकत्र हुए थे। छात्रों ने शुक्ला को 20 प्रश्न भेजे थे और उन्होंने 10 मिनट के समय में हैम रेडियो के माध्यम से छात्रों से संपर्क किया तथा आईएसएस पर अपने अनुभव, अंतरिक्ष यात्री के रूप में प्रशिक्षण के बारे में अपने विचार साझा किए। शुभांश बोले- मैं वापस आऊंगा और आपका मार्गदर्शन करूंगा।

सूर्य से नहीं, बल्कि जीएमटी से संचालित होती है गतिविधियां : शुभांशु ने कहा, अंतरिक्ष स्टेशन पर जीवन सूर्य के प्रकाश से नहीं, बल्कि ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) पर सेट घड़ी से संचालित होता है। हम सूर्य का अनुसरण नहीं करते। आईएसएस पर हम हर दिन 16 सूर्योदय व सूर्यास्त देखते हैं, क्योंकि हम हर 90 मिनट में पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं।

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