
रायपुर. भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापट्नम इकॉनामिक कॉरिडोर के भू-अर्जन मुआवजा प्रकरणों में कथित घोटाले की शिकायतों के बाद छत्तीसगढ़ में जांच प्रक्रिया तेज हो गई है। रायपुर और दुर्ग संभाग में कुल 400 से अधिक दावा-आपत्तियां प्राप्त हुई हैं, जिनमें अधिकांश प्रभावित किसानों ने कम मुआवजा मिलने, जमीन पर कब्जा, और भू-अर्जन में अनियमितताओं का आरोप लगाया है। रायपुर संभागायुक्त महादेव कावरे और दुर्ग संभागायुक्त एसएन राठौड़ ने इन शिकायतों की जांच के लिए अलग-अलग टीमें गठित की हैं, जो एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी।
रायपुर में डेढ़ सौ से अधिक शिकायतें, चार जांच टीमें गठित
रायपुर संभागायुक्त महादेव कावरे ने मुआवजा घोटाले की शिकायतों के बाद अपर कलेक्टर ज्योति सिंह, उमाशंकर बंदे, निधि साहू, और इंदिरा देवहारी की अध्यक्षता में चार जांच टीमें बनाई हैं। इन टीमों को डेढ़ सौ से अधिक दावा-आपत्तियों और शिकायतों की बारीकी से जांच कर एक महीने में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। संभागायुक्त कार्यालय में 60, एसडीएम कार्यालय अभनपुर में 49, और जिला कलेक्टोरेट में अन्य शिकायतें दर्ज की गई हैं। जांच टीमें संबंधित गांवों के पटवारियों से मुआवजा वितरण के प्रतिवेदन मांग रही हैं और मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेंगी। विधानसभा के आगामी मानसून सत्र से पहले रिपोर्ट सौंपने का लक्ष्य है, ताकि नियमानुसार कार्रवाई हो सके।
दुर्ग संभाग में 250 से अधिक दावा-आपत्तियां
दुर्ग संभागायुक्त एसएन राठौड़ ने बताया कि दुर्ग और राजनांदगांव जिले में दुर्ग-रायपुर बायपास निर्माण के लिए भू-अर्जन प्रकरणों में 250 से अधिक दावा-आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। इनमें ज्यादातर शिकायतें कम मुआवजा मिलने से संबंधित हैं। जांच के लिए अधिकारियों की टीमें गठित की जाएंगी, जो प्रभावित भूमि-स्वामियों की शिकायतों की पड़ताल करेंगी।अन्य जिलों में भी अनियमितताओं की शिकायतें
भारतमाला परियोजना की प्रस्तावित सड़क रायपुर और दुर्ग के अलावा कांकेर, कोंडागांव, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, बिलासपुर, और जांजगीर-चांपा जिलों से होकर गुजर रही है। इन जिलों में भी भू-अर्जन प्रक्रिया में अनियमितताओं और मुआवजा वितरण में गड़बड़ी की शिकायतें सामने आई हैं। प्रभावित किसानों का आरोप है कि उनकी जमीन का भू-अर्जन किए बिना या कम मुआवजा देकर सड़क निर्माण किया जा रहा है। कुछ मामलों में प्रशासन पर अधिक जमीन अधिग्रहण कर कम मुआवजा देने का भी आरोप है।
किसानों की शिकायतें और जांच का दायरा
प्रभावित किसानों का कहना है कि उनकी जमीन का न तो उचित भू-अर्जन हुआ और न ही समय पर मुआवजा मिला। कई स्थानों पर बिना मुआवजा दिए जमीन पर कब्जा कर सड़क निर्माण शुरू कर दिया गया। जांच टीमें इन शिकायतों की सत्यता की पड़ताल के लिए संबंधित आवेदकों को नोटिस भेज रही हैं, ताकि वे अपना बयान दर्ज करा सकें। इसके अलावा, मुआवजा वितरण की वास्तविक स्थिति जानने के लिए पटवारियों से विस्तृत प्रतिवेदन मांगे गए हैं।
रायपुर और दुर्ग संभाग में गठित जांच टीमें भू-अर्जन और मुआवजा वितरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही हैं। संभागायुक्तों ने स्पष्ट किया कि सभी शिकायतों की निष्पक्ष जांच होगी, और दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। भारतमाला परियोजना जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में इस तरह की शिकायतें गंभीर चिंता का विषय हैं, और राज्य सरकार इसे प्राथमिकता के आधार पर हल करने के लिए कटिबद्ध है।