
अगर आपकी गाड़ी पुरानी है और आप दिल्ली या आस पास के इलाके में रहते हैं या इससे होकर निकलते हैं तो इस खबर को ध्यान से पढ़ें. प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए एक सीमा से ज्यादा पुरानी गाड़ियों को आने वाले दिनों में पेट्रोल पंप से फ्यूल नहीं मिलेगा. नियम चरणबद्ध तरीके से लागू होंगे और पहली जुलाई से इनकी शुरुआत होगी. कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट यानि सीएक्यूएम ने एलान किया है कि ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन यानि एएनपीआर कैमरे से पहचाने गए एसे व्हीकल जिन्हें ईओएल ( End of Life) माना गया है उन्हे रीफ्यूल नहीं किया जाएगा. इस फैसले का असर 5 लाख वाहनों पर पड़ सकता है. नियम न पालन करने पर गाड़ी जब्त भी हो सकती है.
कब से लागू हो रहा फैसला
सीएक्यूएम के मुताबिक ये नियम दिल्ली में पहली जुलाई से लागू होगा, वहीं पहली नवंबर से ये नियम गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाज़ियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और सोनीपत में भी लागू की जाएगी, जबकि बाकी एनसीआर में यह नियम 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगी.
कैसे होगी ट्रैकिंग
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट में सीएक्यूएम के सदस्य डॉ. वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि दिल्ली के 500 पेट्रोल पंपों पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन कैमरे लगाए गए हैं, जिससे रियल-टाइम में वाहनों की जानकारी ट्रैक की जा रही है. अब तक इस प्रणाली से 3.63 करोड़ से अधिक वाहनों की जांच की जा चुकी है, जिनमें से 4.90 लाख वाहनों को ‘एंड-ऑफ-लाइफ’ के रूप में दर्ज किया गया है। ‘एंड-ऑफ-लाइफ’ का मतलब है कि ये वाहन डीजल के मामले में 10 साल और पेट्रोल के मामले में 15 साल की अधिकतम अवधि पार कर चुके हैं.
कानून के पालन के लिए दिल्ली परिवहन विभाग ने 100 निगरानी टीम की तैनाती की है. ये टीमें डाटा की निगरानी करेंगी, उन पेट्रोल पंपों की पहचान करेंगी जहां सर्वाधिक संख्या में नियम उल्लंघन वाले वाहन पहुंचते हैं, और कड़ाई से पालन सुनिश्चित करेंगी.
क्यों लगाए जा रहे ये नियम
डॉ. शर्मा ने कहा कि दिल्ली और एनसीआर की हवा को साफ करने के लिए बीएस मानक वाले पुराने वाहनों को हटाना अत्यंत आवश्यक है. ये वाहन वायु प्रदूषण में बड़ा योगदान करते हैं. अब पारदर्शी, डिजिटल और जवाबदेह व्यवस्था लागू हो चुकी है, जिसे टोल केंद्रों पर भी लागू किया जाएगा. इसके लिए करीब 100 टीमें कार्य करेंगी.
क्या होगा अगर नियम तोड़ा
ANPR प्रणाली अपने आप पेट्रोल पंप पर प्रवेश करने वाले वाहनों की नंबर प्लेट को स्कैन करती है और फिर VAHAN डेटाबेस से मिलान करती है जिसमें वाहन का पंजीकरण, ईंधन प्रकार और आयु जैसी जानकारी होती है. अगर कोई वाहन वैध आयु सीमा से अधिक पाया जाता है, तो उसे EoL के रूप में दर्ज कर दिया जाता है. इसके बाद संबंधित पेट्रोल पंप को इन वाहनों को ईंधन न देने की चेतावनी मिलती है. उल्लंघन की जानकारी रिकॉर्ड कर एजेंसियों को भेज दी जाती है, जो आगे चलकर वाहन जब्त करने या स्क्रैप करने जैसी कार्रवाई कर सकती हैं.