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World Snake Day 2025: छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं ये जहरीले सांप, काट लें तो क्या करें, जानें बचाव के तरीके 

Chhattisgarh Snake Species: छत्तीसगढ़ राज्य का लगभग 44 प्रतिशत लैंड फॉरेस्ट से ढंका हुआ है, ऐसे में यहां सांपों का दिखना आम बात है। वर्ल्ड स्नेक डे के मौके पर आइए जानिए छत्तीसगढ़ में पाई जाने वाली सांपों की प्रजातियां और उनसे जुड़े खतरों और बचाव के उपाय।

43 से ज्यादा प्रजातियां

छत्तीसगढ़ में सांपों की करीब 43 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें जहरीले और गैर-विषैले दोनों तरह के सांप शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर प्रजातियां इंसानों के लिए खतनाक नहीं होतीं। प्रमुख सांपों में नाग, करैत, रसेल वाइपर, अजगर और चूहा सांप का नाम शामिल है।

ये सांप सबसे ज्यादा जहरीले

विषैले सांपों में नाग, करैत और रसेल वाइपर सबसे ज्यादा घातक माने जाते हैं। वहीं अजगर और चूहा सांप जैसे सांप विषहीन होते हैं और इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचाते। कई सांप रात के समय ज्यादा एक्टिव रहते हैं और खाने की तलाश में घरों तक पहुंच जाते हैं।

‘नागलोक’ कहलाता है जशपुर जिला

प्रदेश के जशपुर, रायगढ़ और कोरबा जिलों में सांपों की संख्या सबसे ज्यादा है। जशपुर जिले के तपकरा ब्लॉक को सांपों की वैरायटी के चलते इसे “नागलोक” का नाम दिया गया है। साल 2018 से 2022 तक राज्य में 17 हजार से ज्यादा सांप के काटने के मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

बारिश के मौसम में बढ़ जाते हैं सांप के काटने के मामले

बारिश के मौसम में जब जंगलों और खेतों में खाना मिलना मुश्किल होता है, तो सांप रिहायशी इलाकों की ओर रुख करते हैं। खासतौर पर रायपुर जिले में हर साल 200 से ज्यदा सर्पदंश के मामले सामने आते हैं, जिनमें अभनपुर क्षेत्र सबसे प्रभावित है।

सांप काटने पर क्या करें?

          घबराएं नहीं, शांत रहें

          काटे गए शरीर को स्थिर रखें और कम हिलाएं

          जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल पहुंचें

          अंगूठी, कंगन या घड़ी तुरंत निकालें

सांप काटने पर क्या न करें?

          घाव को बांधें नहीं

          न घाव को काटें और न चूसें

          बर्फ या ठंडा पानी न लगाएं

          किसी तरह की जड़ी-बूटी या घरेलू नुस्खा न अपनाएं

          पीड़ित को शराब या उत्तेजक पदार्थ न दें

सिर्फ 20% सांप ही होते हैं जहरीले

एक्सपर्ट्स के मुताबिक देश में पाई जाने वाली सांपों की 80% प्रजातियां विषहीन होती हैं। सिर्फ 20% सांप ही ऐसे हैं जिनका जहर जानलेवा हो सकता है, यदि समय पर इलाज न मिले।

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