
भौतिक जगत की पूर्णता के बावजूद सत्य की प्राप्ति भारत में ही होती है. भौतिकता की पूर्ण प्राप्ति के बाद भी जीवन अधूरा रह जाता है. जीवन की पूर्णता भारत ही ला सकता है.
यही कारण है कि पश्चिम के देश दो हजार साल बाद भी जीवन की पूर्णता प्राप्त नहीं कर पाए. इसके लिए उन्हें भारत की जरूरत पड़ती है. यही बात भारत को विश्व गुरु बना सकती है. इन्हीं कारणों से हम सब चाहते हैं कि भारत विश्व गुरु बने. महर्षि मेंहीं आश्रम में शुक्रवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ये बातें कहीं. कुप्पा घाट में बने भव्य गुरु निवास का उद्घाटन करने के बाद सत्यंग प्रशाल में आरएसएस प्रमुख संतों के बीच बैठकर लोगों को संबोधित कर रहे थे. भागवत ने कहा कि मनुष्य को अहंकार नहीं होना चाहिए. जीवन में सत्य की पहचान संतों की संगत से होती है और सत्य से जो सुख मिलता है वह फीका नहीं पड़ता.
रामचरित मानस का प्रभाव महावीर न्यास समिति के सचिव किशोर कुणाल ने कहा कि महर्षि मेंहीं परमहंस जी जब अपनी शिक्षा के दौरान परीक्षा दे रहे थे, तभी एक कविता का अर्थ लिखने के दौरान उन्हें अलौलिक ज्ञान का अहसास हुआ. उनके जीवन पर रामचरित मानस का गहरा प्रभाव पड़ा.