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अडानी-हिंडनबर्ग विवाद पर एक और याचिका

नई दिल्ली . अडानी-हिंडनबर्ग विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और जनहित याचिका गुरुवार को दायर की गई. जिसमें मामले की जांच किसी समिति या सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में बहु केंद्रीय एजेंसियों से कराने का अनुरोध किया गया है.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ अडानी समूह के शेयरों की कीमत में कृत्रिम तरीके से गिरावट कर निवेशकों का शोषण करने के आरोप संबंधी तीन याचिकाओं को पहले ही स्वीकार कर चुकी है. उन्हें शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है. चौथी जनहित याचिका स्वयं को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले मुकेश कुमार ने वकील रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिये दाखिल की है.

अडानी ने ऑडिट कराने की खबर को अफवाह बताया अडानी समूह ने अपनी कुछ कंपनियों के लिए स्वतंत्र ऑडिट करवाने के लिए अकाउंटेंसी फर्म ग्रांट थॉर्नटन की सेवाएं लेने की खबर को बाजार की अफवाह बताते हुए खारिज कर दिया है. अडानी समूह ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को लिखा है, ग्रांट थॉर्नटन की सेवाएं लेने को लेकर मीडिया में जो खबर चल रही है, वह अफवाह प्रतीत होती है.

कांग्रेस को जेपीसी के अलावा दूसरी समिति पर भरोसा नहीं

कांग्रेस ने गुरुवार को अडानी मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग पर फिर से जोर दिया. कांग्रेस ने कहा, जेपीसी के अतिरिक्त कोई अन्य समिति गठित करना पूरे प्रकरण में कारोबारी समूह एवं सरकार को सही ठहराने की ही कवायद होगी. पार्टी अडानी समूह से जुड़े मामले पर शुक्रवार को 23 शहरों में संवाददाता सम्मेलन करेगी. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सरकार ने जो समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया है, उससे शायद ही पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके.

एमएसएमई पर क्यों नहीं चला जादू राहुल

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि 76 प्रतिशत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को कोई मुनाफा नहीं हुआ है. गौतम अडानी का नाम लिए बगैर राहुल गांधी ने सरकार से पूछा कि दुनिया का दूसरा सबसे अमीर बनाने वाला जादू छोटे व्यापारियों मसलन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों पर क्यों नहीं चलाया गया? राहुल ने ट्वीट किया कि 76 प्रतिशत एमएसएमई को कोई मुना़फा नहीं, 72 फीसदी की आमदनी स्थिर रही, घटी, या ़खत्म. वहीं, 62 प्रतिशत को बजट से सिर्फ निराशा मिली.

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