राष्ट्रीयराजनीति

शिवसेना छिनने के बाद अब भी खत्म नहीं हुआ सबकुछ, उद्धव ठाकरे के पास बचे हैं ये ऑप्शन

चुनाव आयोग (EC) ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट के पक्ष में फैसला दिया है. एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना (Shiv Sena) पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह धनुष-बाण मिल गया है. इससे उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट को बड़ा झटका लगा है. उद्धव ठाकरे के पिता की बनाई पार्टी अब उनके पास नहीं रही है. उद्धव ठाकरे गुट ने कहा कि वे पार्टी के नाम शिवसेना और चुनाव चिह्न को एकनाथ शिंदे गुट को दिए जाने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख करेंगे. उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि यह सच्चाई और इंसाफ का मजाक है. उन्होंने चुनाव आयोग के इस फैसले की आलोचना की.

शिवसेना ने की फैसले की आलोचना

संजय राउत ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे की पार्टी शिवसेना पर 40 लोगों की तरफ से दावा किया गया और चुनाव आयोग (EC) ने इसे मंजूरी दे दी. स्क्रिप्ट पहले ही तैयार की जा चुकी थी. देश तानाशाही की तरफ आगे बढ़ रहा है. वहीं, दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे सहित अन्य शिंदे गुट के नेताओं ने चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि वो अब नए नाम शिवसेना और चुनाव चिन्ह धनुष बाण के अंतर्गत तुरंत काम करना शुरू करेंगे.

उद्धव ठाकरे के पास बचे विकल्प

उद्धव ठाकरे के वकीलों के मुताबिक, कोर्ट में वो चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल कर सकते हैं. उद्धव ठाकरे गुट का दावा है कि उनकी दलीलों पर चुनाव आयोग ने विचार नहीं किया. साल 1999 के शिवसेना के मूल संविधान को चुनाव आयोग ने आधार माना. बल्कि एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे दोनों गुटों ने बताया था कि साल 2018 का पार्टी संविधान लागू हो चुका था.

शिंदे ने किया फैसले का स्वागत

सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि ये बालासाहेब ठाकरे, सभी निर्वाचित विधायकों-सांसदों और लाखों कार्यकर्ताओं की जीत है. यह जीत लोकतंत्र की है. ईसी का फैसला हमारे पक्ष में गुण-दोष के आधार पर आया है. हमारी सरकार बहुमत के समर्थन, संविधान और जनादेश के आधार पर बनी है.

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