विमान निर्माण की दो दिग्गज कंपनियां बोइंग और एयरबस की तरफ से भारत में काफी बड़ी संख्या में नौकरी दिए जाने की तैयारी है। दरअसल, इन दोनो कंपनियों को भारतीय एविएशन कंपनियों से लगातार बड़े ऑर्डर तो मिल ही रहे हैं साथ ही वैश्विक स्तर पर भी इन्हें आर्डर आ रहे हैं।
दोनो कंपनियां पहले ही भारत को अपने वैश्विक सप्लाई चेन के एक अहम कड़ी के तौर पर चिह्नित कर चुकी हैं। वैश्विक विमानन सेक्टर में नई मांग की वजह से इनके लिए भारत का महत्व और बढ़ने जा रहा है। बोइंग भारत में मेड इन इंडिया कार्यक्रम और आत्मनिर्भर भारत को लेकर अपनी प्रतिबद्धिता दिखा चुका है। कंपनी यहां एक बड़ा लॉजिस्टिक्स केंद्र स्थापित करने की तैयारी में है।
दूसरी तरफ एयरबस भारत से इंजीनयिरों व डिजाइनरों की बड़े पैमाने पर नियुक्ति करने की तैयारी में है। एयरबस इस साल वैश्विक स्तर पर 13 हजार नौकरियां देने वाली है, जिसमें से एक हजार सिर्फ भारत में होंगी। एयरबस ने पिछले साल ही टाटा समूह की कंपनी टीएएसएल के साथ मिल कर गुजरात में सी-295 विमानों को बनाने की परियोजना का शुभारंभ किया है।
सैन्य उद्देश्यों से काम करने आने वाले इन विमानों के निर्माण की इस परियोजना में ही 25 हजार प्रत्यक्ष व परोक्ष रोजगार के अवसर हैं। पिछले दिनों दोनो कंपनियों के प्रतिनिधियों ने सरकार के आला अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें भारत में रोजगार के अवसर को लेकर जानकारी दी है।
बोइंग की तरफ से यह भी जानकारी दी गई है कि वह भारत में एक लाजिसटिक्स केंद्र के साथ ही गुड़गांव में पहला ग्लोबल सपोर्ट सेंटर भी स्थापित कर रही है। बोइंग के अधिकारियों ने मीडिया को बताया है कि भारत में उनके कर्मचारियों की संख्या पहल से ही 18 हजार है और अब हर वर्ष वह 1500 नई नौकरियां दे रही हैं।
भारतीय कंपनी एयर इंडिया ने पिछले महीने एयरबस से 250 और बोइंग से 220 विमानों की खरीदने का ऐतिहासिक समझौता किया था। देश की दूसरी निजी एयरलाइनों के साथ इन दोनो विमान निर्माता कंपनियों के साथ और विमान खरीदने को लेकर बातचीत जारी है। माना जाता है कि वर्ष 2030 तक भारतीय विमानन कंपनियां 2200 नये विमानों का आर्डर दे सकती हैं। इस वजह से भी एयरबस और बोइंग भारत में अपनी गतिविधियों को बढ़ा रही हैं।