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शहरी सहकारी बैंकों के लिए महत्वपूर्ण पहल

केंद्र सरकार ने कहा कि 1,514 शहरी सहकारी बैंकों को मजबूत करने का लक्ष्य रखते हुए रिजर्व बैंक ने चार कदम उठाए हैं जिनमें प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को कर्ज देने का लक्ष्य पूरा करने के लिए दो साल का और समय देना भी शामिल है.

सहकारिता मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि देश में 1,514 शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) को मजबूत करने के लिए चार महत्वपूर्ण पहल की गई हैं. बयान के मुताबिक, सहकारिता मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के बीच हुई विस्तृत चर्चा के अनुरूप रिजर्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों को मजबूत करने के लिए इन महत्वपूर्ण उपायों को अधिसूचित किया है. मंत्रालय ने इन चार उपायों को सूचीबद्ध किया है.

इस बैठक के बाद  RBI ने शहरी सहकारी बैंकों को मजबूत करने के लिए इन महत्वपूर्ण उपायों को अधिसूचित किया है. मंत्रालय ने आरबीआई की ओर से नोटिफाई किए गए चार उपायों को लिस्ट किया है. इसके तहत अब शहरी सहकारी बैंक पिछले वित्तीय वर्ष में शाखाओं की संख्या के 10 प्रतिशत तक यानी अधिकतम 5 नई शाखाएं आरबीआई की पूर्व अनुमति के बिना खोल सकते हैं.

​RBI के नोटिफिकेशन में और क्या मिली अनुमति

शहरी सहकारी बैंकों को पॉलिसी के लिए बोर्ड की ओर से अप्रूव करवाना होगा और वित्तीय रूप से मजबूत और अच्छी तरह से प्रबंधित (FSWM) मानदंडों का पालन करना होगा. यूसीबी कॉमर्शियल बैंकों के समान एकमुश्त निपटान भी कर सकते हैं. केंद्रीय बैंक ने यूसीबी समेत सभी विनियमित संस्थाओं के लिए इस पहलू को नियंत्रित करने के वाले फ्रेमवर्क को अधिसूचित किया है.

इनके मुताबिक, यूसीबी अपने संचालन के अनुमोदित क्षेत्र में रिजर्व बैंक की पूर्व अनुमति के बगैर भी अधिकतम पांच नई शाखाएं खोल सकते हैं. उन्हें अपनी नीति निदेशक मंडल से अनुमोदित करवानी होगी और प्रबंधित मानदंडों का पालन करना होगा. यूसीबी वाणिज्यिक बैंकों के समान एकमुश्त निपटान भी कर सकते हैं. अब सहकारी बैंक अनुमोदित नीतियों के माध्यम से तकनीकी बट्टा-खाते के साथ निपटान की प्रक्रिया भी अपना सकते हैं.

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