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हड्डियों की सलामती के लिए सुधारें आदतें

मानव शरीर में 206 हड्डियां होती हैं, जो हमारे शरीर को आकार देती हैं. उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों में कमजोरी आ जाती है. इसका कारण है—हड्डियों के घनत्व (बोन डेंसिटी) का धीरे-धीरे कम होते जाना. इसी कारण ऑस्टियोपोरोसिस व हड्डियों की दूसरी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. वर्ष 2021 के एक आंकड़े के अनुसार, 1 करोड़ भारतीय प्रतिवर्ष ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त हो जाते हैं. पर, कई बातें हैं, जो हड्डियों के बूढ़ा होने की रफ्तार को कम कर सकती हैं.

आमतौर पर 35 के बाद हड्डियों के कमजोर होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. खराब जीवन शैली और गलत खानपान उस प्रक्रिया को और तेज कर देते हैं. नतीजा ये कि कम उम्र में ही ऑस्टियोपोरोसिस व हड्डियों के कम घनत्व की समस्या बढ़ने लगती है. असमय हड्डियों को बूढ़ा होने से कैसे रोकें .

बढ़ जाता है फ्रैक्चर का खतरा

हमारी हड्डियां अनेक मिनरल्स जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस आदि और प्रोटीन से बनी होती हैं. ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में हड्डियों का घनत्व इतना कम हो जाता है कि वे खोखली हो जाती हैं. इससे मामूली चोट पर भी फ्रैक्चर हो जाता है. ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर होती चली जाती हैं. इसलिए इसे ‘साइलेंट डिजीज’ माना जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार विश्व में हर तीन में से एक महिला और हर पांच में से एक पुरुष को ऑस्टियोपोरोसिस से फ्रैक्चर होने का जोखिम बना रहता है. हड्डियां जब कमजोर होने लगती हैं तो कई तरह के संकेत दिखाई देते हैं-

●मामूली-सी चोट लगने पर फ्रैक्चर होना. जल्दी-जल्दी फ्रैक्चर होना. आमतौर पर कलाई, हाथ की हड्डी और रीढ़ में फ्रैक्चर अधिक होते हैं.

●मांसपेशियों में लंबे समय तक दर्द बने रहना. जोड़ों के आसपास दर्द व सूजन रहना.

●गर्दन पर मामूली दबाव पड़ने पर दर्द शुरू हो जाना.

●कमर में निचले हिस्से में थोड़ा दबाव पड़ने पर तेज दर्द होना.

●कमजोर नाखूनों, मसूढ़ें ढीले पड़ना, आपकी पकड़ ढीली होना व कद घटना आदि.

उपर्युक्त लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लें. हेल्थ विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोनाग्रस्त वे लोग, जिन्हेें पहले से हड्डियों व जोड़ों की समस्याएं थीं, उनमें ठीक होने के बाद ये समस्याएं पहले से ज्यादा बढ़ी हैं.

जांच और उपचार

ऑस्टियोपोरोसिस की जांच के लिए बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट या डेक्सा स्कैन करते हैं. 40 साल की उम्र के बाद हर तीन वर्ष में एक बार या फिर ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण सामने आने पर बोन डेंसिटी टेस्ट करा लेना चाहिए. इन दिनों कई आधुनिक दवाएं और इंजेक्शंस उपलब्ध हैं, जो हड्डियों के घनत्व को कम होने से रोककर उन्हें सशक्त बनाते हैं. कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट्स भी दिए जाते हैं.

हड्डियों के कमजोर होने के कारण

●ब्लड शुगर का बढ़ना अधिक ब्लड शुगर हड्डियों के मेटाबॉलिज्म पर असर डालती है. बढ़ा हुआ ग्लूकोज सूजन बढ़ाता है. विटामिन डी भी कम होता है.

●गलत खान-पान जंक फूड्स व कार्बोनेटेड पेय पदार्थों में कैलोरी अधिक व पोषक तत्व कम होते हैं. अमेरिका स्थित हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अध्ययन के अनुसार, इनका सेवन हड्डियों में संचित कैल्शियम की मात्रा को कम करता है. चाय, काफी व चॉकलेट भी हड्डियों पर बुुरा असर डालते हैं.

●नमक व चीनी अधिक खाना डिब्बाबंद व प्रोसेस्ड चीजों में नमक व चीनी अधिक होते हैं. इनको अधिक लेने पर कैल्शियम यूरिन के जरिये निकलने लगता है. चीनी हड्डियों के गठन पर असर डालती है.

●तनाव है हानिकर अधिक तनाव से शरीर में कॉर्टिसोल नामक हार्मोन बनता है, जो हड्डियों पर बुरा असर डालता है. इस हार्मोन से ब्लड शुगर भी बढ़ सकता है.

●मेनोपॉज व पीरियड बंद होना इसके कारण महिलाओं में विशेषकर इस्ट्रोजन हार्मोन असंतुलित हो जाता है, जो हड्डियों पर बुरा असर डालता है. ऐसे में डॉक्टर एचआरटी थेरेपी भी देते हैं.

●दिनभर बैठे रहना देर तक बैठे रहना, मोबाइल व कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल हड्डियों की संरचना पर असर डालता है. विटामिन डी कम हो जाता है, जो कैल्शियम ग्रहण करने की क्षमता घटा देता है.

धूम्रपान व शराब की अधिकता व नींद की कमी भी हड्डियों पर बुरा असर डालते हैं.

गलत व्यायाम, हड्डियों को नुकसान

किसी भी तरीके का व्यायाम, हड्डियों की मजबूती और लचीलेपन को बढ़ाता है. पर, व्यायाम सही ढंग से और शुरू में किसी अनुभवी की देखरेख में करें. अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक या गलत पॉस्चर से किया व्यायाम हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है. लिगामेंट में चोट लगने और मांसपेशियों में चोट का खतरा बढ़ जाता है.

● पैरों और घुटनों के जोड़ों में दिक्कत है तो ऐसे व्यायाम न करें जो जोड़ों पर दबाव डालते हैं, तब तेज दौड़ने, पालथी मारकर बैठने से बचें. गर्दन व कमर दर्द की स्थिति में झुककर व्यायाम न करें.

●व्यायाम की शुरुआत में वॉर्मअप जरूर करें. इससे शरीर व्यायाम के लिए तैयार हो जाता है.

●साथ ही जो भी व्यायाम करें, खासकर योग वह पूरी प्रक्रिया से करें. जो क्रिया दाएं हाथ या पैर से करते हैं, उसे बाएं से भी करें.

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