छत्तीसगढ़

जूनियर डॉक्टरों हड़ताल के दौरान बेच रहे चाय, डिग्री के आधार पर रखे दाम

Raipur News छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज के जूनियर डाक्टर स्टाइपेंड और बान्ड अवधि कम करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। जूनियर डाक्टरों ने हड़ताल के चौथे दिन गुरूवार को आंबेडकर अस्पताल के सामने प्रदर्शनस्थल पर चाय बेचकर विरोध-प्रदर्शन किया। डाक्टरों ने डिग्री के आधार पर मिलने वाले स्टाइपेंड की तरह चाय की भी कैटेगरी निर्धारित की थी। प्रदर्शनकारी डाक्टरों ने बताया कि जितने स्टाइपेंड के हम हकदार हैं, सरकार उससे कहीं कम दे रही है। ठीक उसी तरह चाय का दाम भी रखा गया था।

छत्तीसगढ़ जूनियर डाक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष मन्नू प्रताप ठाकुर ने कहा कि तीन प्रकार की चाय रखी गई थी। पहली एमबीबीएस, जिसकी कीमत दो रूपये रखी गई थी। इसी प्रकार एमडी एमएस और डीएम/एमसीएच की कीमत पांच-पांच रूपये रखी गई थी। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डा प्रीतम दास ने बताया कि आंबेडकर अस्पताल के बाहर टेंट में ओपीडी लगाकर मरीजों का इलाज किया गया, साथ ही स्वजन को चाय पिलाकर परेशानी बताई गई। स्वजन को जानकारी दी गई कि उनका मानदेय पिछले चार वर्षों से नहीं बढ़ा है। महंगाई के दौर में आजीविका चलाने उन्हें चाय बेचकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है। जुनियर डाक्टरों का कहना है कि पिछली बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आश्वासन पर हड़ताल वापस ले ली थी। इस बार जब तक मांगों पर ठोस निर्णय नहीं हो जाता, तब तक हड़ताल से वापस नहीं उठेंगे।

जांच-इलाज प्रभावित, केवल 600 ओपीडी

रायपुर के अलावा सरगुजा, कांकेर, जगदलपुर, रायगढ़ और राजनांदगांव के मेडिकल कालेज के जूनियर डाक्टर भी हड़ताल पर हैं। मेडिकल कालेज के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था जूनियर डाक्टरों के जिम्मे होती है। हड़ताल से सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है। आंबेडकर अस्पताल के बाहर टेंट में ओपीडी लगाकर जूनियर डाक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन अस्पताल के भीतर जांच और इलाज प्रभावित होने लगी है। हड़ताल से पहले अस्पताल की ओपीडी औसतन 1700 से 1800 होती थी, जो निरंतर कम हो रही है। अस्पताल में पहले से प्रस्तावित और आपातकालीन आपरेशन ही किए जा रहे हैं। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि सीनियर डाक्टरों की डयूटी ओपीडी और आपातकालीन सेवा में लगाई गई है।

डीएमई डा विष्णु दत्त का कहना है कि जूनियर डाक्टरों को हड़ताल वापस लेने के लिए समझाया जा रहा है। राज्य शासन को स्टाइपेंड बढ़ाने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है।

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