भारत में 43.7 प्रतिशत लोग खून की कमी की बीमारी यानी एनीमिया से पीड़ित हैं. द लैंसेट हेमेटोलॉजी में प्रकाशित स्टडी से यह खुलासा हुआ है. हालांकि 1990 के मुकाबले इसमें कमी आई है, 1990 में 51.6 फीसदी लोग एनीमिया से पीड़ित थे.
लैंसेट में 1990 से 2021 तक बीते 30 सालों दुनियाभर में एनीमिया के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है. यह अध्ययन सिएटल स्थित इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) और इसके ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज एनीमिया सहयोगियों द्वारा किया गया है.
लैंसेट की स्टडी से हुआ खुलासा, बीते तीन दशकों का अध्ययन एनीमिया होने के लिए आयरन की कमी का हिस्सा 66.2 फीसदी 5.7% में 1.92 अरब लोगों को एनीमिया था, दक्षिण एशिया व अफ्रीका में सबसे अधिक
दुनिया में पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक प्रभावित
अध्ययन के अनुसार, एनीमिया ने 2021 में लगभग 1.92 अरब लोगों को प्रभावित किया, जिससे महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक प्रभावित हुईं. वैश्विक स्तर पर 2021 में, 17.5 पुरुषों की तुलना में 31.2 महिलाओं को एनीमिया था. 15-49 साल के के महिलाओं में एनीमिया का प्रसार ज्यादा था. इस आयु वर्ग में, महिलाओं में एनीमिया का प्रसार 33.7 जबकि पुरुषों में 11.3 था.
खाने में आयरन की कमी प्रमुख कारण
भारत सहित दुनियाभर में एनीमिया का प्रमुख कारण खाने में आयरन की कमी है. कुल एनीमिया मामलों का 66.2 इसी वजह से हुआ था. दुनिया के आंकड़ों की बात करें तो 82.5 करोड़ महिलाएं तथा 44.4 करोड़ पुरुष खाने में आयरन की कमी के कारण एनीमिया के शिकार हुए थे. भारत में एनीमिया का दूसरा प्रमुख कारण हीमोग्लोबिनोपैथी और हेमोलिटिक एनीमिया है तथा तीसरे स्थान पर अन्य संक्रामक रोग है.