पितृ अमावस्या भारत में नहीं दिखेगा सूर्यग्रहण, श्रद्धा से करें श्राद्ध
पितृ अमावस्या यानी 14 अक्तूबर को सूर्यग्रहण लग रहा है. यह भारत में नहीं दिखाई देगा और इसी कारण इसका सूतक भी नहीं लगेगा. विद्वानों ने सलाह दी है कि पितृ अमावस्या पूर्ववत श्रद्धा और विश्वास के साथ करें. किसी भ्रम में न रहें. पितरों के निमित दीपदान और तर्पण करें.
श्राद्ध अमावस्या पर निकलेंगे जल पत्तल
भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा के अध्यक्ष एस्ट्रो केसी पांडेय (काशी वाले) ने बताया कि सूर्य ग्रहण का भारत में कोई असर नहीं है. इसलिए कोई सूतक नहीं है. पंडित कुलदीप भारद्वाज ने बताया कि अमावस्या पर अपनो पितरों का निसंकोच तर्पण करें.
अमावस्या के दिन पितरों की पूजा विधि
पितरों का पूजन मनुष्य के जीवन में कृपा बरसाने वाला, सुख-शान्ति, धन-समृद्धि व पुत्र-पौत्र देने वाला होता है. किसी शुद्ध स्थान पर जमीन में रोली से सतिया बनाएं और फिर उस पर जल व रोली के छींटे लगाकर पुष्प चढ़ा दें.
नहीं लगेंगे सूतक समय से करें तर्पण
ब्रजघाट ( गढ़मुक्तेश्वर) के पंडित अनिल कौशिक के अनुसार सूर्यग्रहण का भारत में कोई असर नहीं है. इसलिए ग्रहण का सूतक भी नहीं लगेगा. किसी भी प्रकार के भ्रम में न रहें. सनातम धर्म से जुड़े परिवार अपने घर अथवा गंगा तट पर पितरों का तर्पण करें.
उत्तरी और दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
14 अक्टूबर को भारतीय समयानुसार रात 08 बजकर 34 मिनट से साल का दूसरा सूर्यग्रहण प्रारंभ होगा जो रात 02 बजकर 25 मिनट तक रहेगा. इस लिए भारत में सूतक नहीं होगा. यह चित्रा नक्षत्र में होगा. यह ग्रहण पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिका, अंटार्कटिका में दिखाई देगा.
पितृ अमावस्या को सभी पूर्वजों का स्मरण
पितृ विसर्जनी अमावस्या को ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का स्मरण किया जाता है और उनके निमित तर्पण, दान और दीपदान होता है. 16 दिन यदि किसी कारणवश श्राद्ध नहीं कर पाएं हों तो अमावस्या के दिन अवश्य करना चाहिए. इसी के साथ पूर्वज यानी पितृ विदा होते हैं.