नई दिल्ली. रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि शहीद सैन्यकर्मियों की विधवाएं (वीर नारी) यदि पुनर्विवाह करती हैं तो उन्हें सेना में करियर बनाने के लिए पांच फीसदी आरक्षित सीटों का लाभ नहीं मिलेगा. मौजूदा समय में शहीदों की विधवाओं के लिए पांच फीसदी सीटें आरक्षित हैं. ये सीटें एसएससी टेक्निकल और नॉन टेक्निकल दोनों शाखाओं में उपलब्ध हैं.
जानकारी के अनुसार, इन सीटों के पूरी तरह से नहीं भर पाने के कारण रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति ने सरकार से सिफारिश की थी कि यदि शहीद की विधवा पुनर्विवाह कर भी लेती है तो भी उसे इन पांच फीसदी सीटों का लाभ मिलना चाहिए. क्योंकि, उसने अपना जीवनसाथी खोया है. वह इसकी हकदार है. फिर कई बार तैयारियों एवं भर्तियां निकलने में काफी समय लग जाता है. इसलिए समिति ने सरकार को कहा था कि वह पुनर्विवाह पर आरक्षित सीटों का लाभ नहीं देने के प्रावधान पर फिर से विचार करे. समिति का मानना था कि इन पांच फीसदी सीटों के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिलने की एक वजह महिला का पुनर्विवाह रचाना भी है, जिसके कारण वह इन सीटों का लाभ पाने के अयोग्य करार दी जाती है.
नियम में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता सरकार की तरफ से कहा गया है कि ऐसे उम्मीदवारों के लिए उम्र सीमा को बढ़ाकर 35 साल किया गया है, लेकिन पुनर्विवाह के मामले में उन्हें आरक्षित सीटों का लाभ नहीं दिया जा सकता है. क्योंकि विवाह के बाद वह वित्तीय रूप से कठिनाई में नहीं रह जाती है. उसके पास एक सपोर्ट सिस्टम भी हो जाता है. इसलिए इस नियम में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है.
शहीदों की विधवाओं को सीधे साक्षात्कार में बैठने की अनुमति
बता दें कि शहीदों की विधवाओं को बिना यूपीएससी की परीक्षा दिए सीधे एसएसबी साक्षात्कार में बैठने की अनुमति होती है. उनके लिए पांच फीसदी सीटें रिजर्व होती हैं. यदि कोई विधवा पुनर्विवाह कर लेती है तो उसे सेना में अधिकारी बनने के लिए अन्य उम्मीदवारों की भांति पहले यूपीएससी परीक्षा पास करनी होगी और उसके बाद इंटरव्यू में शामिल होने का मौका मिलेगा.