आंखों के कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए अच्छी खबर है. एम्स में बिना सर्जरी किए गामा नाइफ विकिरण के जरिए आंखों के कैंसर का सफल इलाज हो रहा है. इस प्रक्रिया में लोगों की आंखों की रोशनी भी सुरक्षित रहती है.
एम्स में सोमवार को आयोजित प्रेस वार्ता में डॉक्टरों ने बताया कि पिछले ढाई साल में इस तकनीक की मदद से एम्स के डॉक्टरों ने 15 मरीजों का इलाज किया. सभी के नतीजे भी बेहतर निकले हैं. अब तक ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी करनी पड़ती थी. सर्जरी में ट्यूमर के साथ आंख को भी निकालना पड़ता था. इस कारण उक्त मरीज की स्थायी रूप से रोशनी भी चली जाती थी. एम्स दिल्ली डॉक्टरों ने बताया कि इस प्रक्रिया में लोगों की आंखों की रोशनी भी सुरक्षित रहती है. डॉ. आरपी सेंटर की प्रोफेसर डॉ. भावना चावला ने बताया कि पश्चिमी देशों में आंखों का यह कैंसर 60 की उम्र के आसपास के लोगों में मिलता है, जबकि भारत में यह कैंसर 40 की उम्र में ही लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. एम्स में सबसे छोटा मरीज 14 साल का था. कम उम्र में हो रहे इस कैंसर की वजह पता लगाने के लिए शोध कर रहे हैं.
एक बार में ही हो जाता है ट्यूमर का उपचार
विशेषज्ञों का कहना है कि एम्स के नेत्र विज्ञान विभाग ने न्यूरोलॉजी विभाग के साथ मिलकर आंखों के कैंसर (यूवेल मेलेनोमा) के इलाज के लिए गामा नाइफ रेडियो सर्जरी की शुरुआत की. इसमें 30 मिनट में ट्यूमर पर 0.1 मिली मीटर की सटीकता के साथ गामा किरणें दी गई, जो एक बार में ही ट्यूमर का इलाज कर देती है.