सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को भ्रामक विज्ञापन मामले में अनुपालन के उचित हलफनामे दाखिल नहीं करने पर कड़ी फटकार लगाई.
योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण उस कारण बताओ नोटिस के सिलसिले में उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को पेश हुए जिसमें पूछा गया था कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों शुरू नहीं की जानी चाहिए.
न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों और उनके चिकित्सकीय प्रभावों के विज्ञापनों से संबंधित अवमानना कार्यवाही के मामले में 19 मार्च को रामदेव और बालकृष्ण से व्यक्तिगत रूप से अपने समक्ष पेश होने को कहा था.
पीठ ने कंपनी और बालकृष्ण को पहले जारी किए गए अदालत के नोटिस का जवाब दाखिल नहीं करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी.
न्यायालय ने कहा था कि उसे रामदेव को कारण बताओ नोटिस जारी करना उपयुक्त लगता है क्योंकि पतंजलि द्वारा जारी विज्ञापन 21 नवंबर, 2023 को अदालत में दिए गए हलफनामे का विषय हैं.
इसने कहा कि ऐसा लगता है कि रामदेव ने इसका समर्थन किया था.
यह मामला मंगलवार को न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ के सामने सुनवाई के लिए आया. पीठ ने कहा, ‘‘क्या दोनों उपस्थित है?’’
रामदेव की ओर से पेश वकील ने कहा कि वे दोनों अदालत में हैं. पीठ ने कहा कि पतंजलि द्वारा जारी विज्ञापन देश के ‘‘कानून के दायरे’’ में हैं.