उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि ‘सहनशीलता, समायोजन और सम्मान एक अच्छे विवाह की नींव हैं. छोटे-मोटे झगड़े और छोटे-मोटे मतभेद साधारण मामले होते हैं, जिन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जाना चाहिए.
इससे वह चीजें नष्ट हो जाती हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह स्वर्ग में बनती है. शीर्ष अदालत ने कहा कि कई बार विवाहित महिला के माता-पिता एवं करीबी रिश्तेदार बात का बतंगड़ बना देते हैं. स्थिति को संभालने तथा शादी को बचाने के बजाय उनके कदम छोटी-छोटी बातों पर वैवाहिक बंधन को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं.
पीठ ने महिला द्वारा पति के खिलाफ दर्ज कराए गए दहेज उत्पीड़न के मामले को रद्द करते यह टिप्पणी की है. पीठ ने कहा है कि छोटी मोटे विवाद होने पर महिला, उसके माता-पिता और रिश्तेदारों के दिमाग में सबसे पहली चीज पुलिस की आती है. जैसे कि पुलिस सभी बुराइयों का रामबाण इलाज हो.