छत्तीसगढ़: विद्यार्थियों को स्कूल छोड़ने से रोकेंगे मेंटॉर
रायपुर: शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई) में गरीब और अहायों बच्चों के लिए प्रदेशभर के निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटें आरक्षित हैं, जिसके अंतर्गत प्रतिवर्ष हजारों गरीब छात्रों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिया जाता है. लेकिन, सैकड़ों विद्यार्थी प्रवेश लेने के बाद नवीन स्कूलों के वातावरण के साथ सामंजस्य न बिठा पाने या अन्य फीस, पुस्तकें आदि की समस्या को लेकर बीच में ही स्कूल छोड़ देते हैं. पिछले तीन सालों में साल-दर साल ड्रॉपआउट होने वाले छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है. वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक 53304 विद्यार्थी आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश लेकर बीच में ही स्कूल छोड़ दिया है. इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने चिंता जताई है.
स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने ड्रॉपआउट बच्चों की संख्या में कमी या एकदम खत्म करने के लिए निजी स्कूलों में मेंटॉर नियुक्त करने के लिए कहा है. मेंटॉर नवीन स्कूल के वातावरण में बच्चों और पालकों को समन्वय बैठाने में मदद करेगा. स्कूल शिक्षा विभाग ने स्वप्रेरित अधिकारियों और अकादमिक में रुचि रखने वाले को मेंटार के रूप में नियुक्त किए जाने की सिफारिश की गई है.
कोरबा व रायपुर में सबसे अधिक ड्रापआउट
शहरी क्षेत्रों में आरटीई के तहत प्रवेश लेकर ड्रापआउट करने वाले विद्यार्थियों की संख्या अधिक है. रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और कोरबा में सबसे अधिक विद्यार्थियों ने ड्रॉपआउट किया है. रायपुर में वर्ष 2020-21 में 903, 2021-22 में 1469 और 2022-23 में 2496 विद्यार्थिंयों ने ड्रॉपआउट किया है.
मेंटॉर के जिम्मे होंगे कई काम
आरटीई के अंतर्गत प्रवेश के लिए चयनित विद्यार्थियों का प्रवेश सुनिश्चित कराएंगे. मेंटॉर आरटीई में प्रवेशित विद्यार्थियों/ उनके पालकों से संपर्क में रहेंगे और उनकों विद्यालयों में आने वाली समस्या को हल करने में मदद करेंगे. विद्यार्थियों की स्कूलों में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित कराने में पालक और विद्यार्थी को प्रेरित करेंगे. पालकों और विद्यालय से समन्वय स्थापित कर ड्रॉपआउट विद्यार्थियों की समस्या खत्म करने पर काम करेंगे. आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित बच्चों पर किसी भी प्रकार के असमानता के व्यवहार को रोकने पर काम करेंगे मेंटार इस बात की भी मानिटरिंग करेंगे, कि आरटीई के अंतर्गत प्राप्त होने वाली समस्त सुविधाएं विद्यार्थियों को उपलब्ध हों और निजी विद्यालयों द्वारा आरटीई अधिनियम का किसी भी प्रकार का उल्लंघन न किया जाए.