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रायपुर: शोध में दूसरों के कंटेंट की कॉपी या गलत डेटा लेने से बचें शोधार्थी

रायपुर: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर के रिसर्च एंड कंसल्टेंसी विभाग की ओर से 25 जून से तीन दिवसीय तीसरे रिसर्च स्कॉलर कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है. 27 जून तक आयोजित इस कार्यक्रम में केवल संस्थान के पीएचडी स्कालर्स को ही हिस्सा लेने की अनुमति प्रदान की गई है.

इसमें शोध प्रकाशन और नैतिकता पर मुख्य व्याख्यान सत्र में एनआईटी रायपुर के निदेशक डॉ. एनवी. रमना राव ने स्कोपस-इंडेक्स्ड जर्नल में लेखन और प्रकाशन की बारीकियों पर विस्तार से जानकारी दी औैर इसमें शामिल कठोर प्रक्रिया का विस्तृत विवरण दिया.

उन्होंने शोध के नियमों और इस दौरान होने वाली गलतियों से शोधार्थियों को बचने के तरीके बताए. उन्होंने कहा कि शोध के दौरान शोधार्थियों को प्लेगेरिज्म अर्थात दूसरों के कंटेंट कॉपी नहीं करना और गलत डेटा नहीं लेना चाहिए. साथ ही डाटा को तोड़-मरोड़ कर प्रयोग में नहीं लाना चाहिए. उन्होंने शोध और प्रकाशन में नैतिक मानकों के महत्व को भी समझाया. स्कोपस-इंडेक्स्ड जर्नल की अवधारणा पर प्रकाश डाला. शोध की गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने की सलाह शोधार्थियों को दी.
 

246 एबस्ट्रेक्ट प्रस्तुत किए गए

कार्यक्रम डॉ. अनामिका यादव रिसर्च कॉन्क्लेव के आयोजन पर प्रकाश डाला. उनके बाद डॉ. प्रभात दीवान ने अकादमिक और शोध उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में स्कॉलर कॉन्क्लेव की भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि इस बार 246 एबस्ट्रेक्ट प्रस्तुत किए गए हैं, जो शोध के निर्धारित उच्च मानकों को पूरा करता है. डॉ. श्रीश वर्मा ने शोध के महत्व पर जोर दिया और शोध कार्य के नियमों से सम्बंधित जानकारी दी. इसके बाद सभी अतिथियों द्वारा एबस्ट्रेक्ट बुक का विमोचन भी किया गया.

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