प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा, “आज वो शुभ घड़ी है जब हम देश की आज़ादी के लिए मर मिटने वाले, अपना जीवन समर्पित करने वाले आज़ादी के दीवानों को नमन करने का ये पर्व है. ये देश उनका ऋणी है. ऐसे हर देशवासी के प्रति हम अपना श्रद्धा भाव व्यक्त करते हैं.”
‘आज आजीवन संघर्ष करने वाले अनगिनत मां भारती के दीवानों को नमन करने का पर्व है. हमारे किसान, जवान, नवजवानों का हौसला और स्वतंत्रता के प्रति निष्ठा विश्व के लिए प्रेरित घटना है. आजादी के पूर्व 40 करोड़ देशवासियों ने जज्बा दिखाया और एक संकल्प लेकर चले.”
“हमें गर्व है कि हम उन 40 करोड़ लोगों का खून अपने साथ लेकर चलते हैं, जिन्होंने भारत से औपनिवेशिक शासन को उखाड़ फेंका. आज हम 140 करोड़ लोग हैं. अगर हम संकल्प लें और एक दिशा में एक साथ आगे बढ़ें तो हम रास्ते की सभी बाधाओं को पार करते हुए 2047 तक ‘विकसित भारत’ बन सकते हैं.”
“इस वर्ष और पिछले कई वर्षों से प्राकृतिक आपदा के कारण हमारी चिंता बढ़ती चली जा रही है. प्राकृतिक आपदा में अनेक लोगों ने अपने परिवार जन खोए हैं, संपत्ति खोई है. मैं आज उन सब के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि ये देश इस संकट की घड़ी में उनके साथ खड़ा है.”
जरा आजादी से पहले के वो दिन याद करें. सैकड़ों साल की गुलामी और उसका हर कालखंड संघर्ष का रहा. युवा हो, किसान हो, महिला हो या आदिवासी हों… वो गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे. इतिहास गवाह है, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व भी हमारे देश के कई आदिवासी क्षेत्र थे, जहां आजादी की जंग लड़ी जा रही थी.
विकसित भारत-2047 सिर्फ भाषण के शब्द नहीं हैं. इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है, देश के कोटि-कोटि जनों के सुझाव लिए जा रहे हैं और मुझे प्रसन्नता है कि मेरे देश के करोड़ों नागरिकों ने ‘विकसित भारत-2047’ के लिए अनगिनत सुझाव दिए हैं.”विश्व में सबसे तेज गति से करोड़ों लोगों को कोविड वैक्सीनेशन का काम हमारे देश में हुआ. कभी आतंकवादी हमारे देश में आकर हमें मारकर चले जाते थे, जब देश की सेना सर्जिकल स्ट्राइक करती है, जब देश की सेना एयर स्ट्राइक करती है तो देश के नौजवानों का सीना गर्व से भर जाता है.”
पीएम मोदी ने कहा, “हमें बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी गई और हमने जमीन पर बड़े सुधार पेश किए. मैं देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सुधारों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता गुलाबी कागज के संपादकीय तक सीमित नहीं है. सुधारों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता कुछ दिनों की सराहना के लिए नहीं है. हमारी सुधार प्रक्रिया किसी मजबूरी के तहत नहीं है. यह देश को मजबूत करने के इरादे से है. इसलिए, मैं कह सकता हूं कि सुधारों का हमारा मार्ग एक तरह से विकास की रूपरेखा है. ये सुधार, ये विकास, ये बदलाव सिर्फ डिबेट क्लबों, बौद्धिक समाजों और विशेषज्ञों के लिए चर्चा का विषय नहीं है. हमने ये राजनीतिक मजबूरियों के लिए नहीं किया. हमारा एक ही संकल्प है – राष्ट्र प्रथम.”
ऐसा माहौल बन गया था कि जो है, उसमें गुजारा कर लो. कहते थे कि अब कुछ होने वाला नहीं है. हमने उस माहौल को बदला है. कई लोग कहते थे कि भविष्य के लिए क्यों कुछ करें, हम आज का देखें. लेकिन देश का नागरिक ऐसा नहीं चाहता. वह सुधारों का इंतजार करता रहा. हमें जिम्मेदारी मिली तो फिर हमने सुधारों को जमीन पर उतारा. मैं देशवासियों को यकीन दिलाना चाहता हूं कि हम सुधारों के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे. हमारी प्रक्रिया किसी मजबूरी में नहीं बल्कि मजबूती के लिए है.
दुर्भाग्य से हमारे देश में आजादी के बाद लोगों को एक प्रकार के माई-बाप कल्चर से गुजरना पड़ा- सरकार से मांगते रहो, सरकार के सामने हाथ फैलाते रहो. लेकिन हमने गवर्नेंस के इस मॉडल को बदला. आज सरकार खुद लाभार्थी के पास जाती है. आज सरकार खुद उसके घर तक गैस का चूल्हा, पानी, बिजली और आर्थिक मदद पहुंचाती है. आज सरकार खुद नौजवानों के skill development के लिए अनेक कदम उठा रही है.