कानपुर. क्या आपने ऐसे नोटों को देखा है, जो असली तो हों लेकिन बापू के चेहरे की तस्वीर दोनों ओर छपी हो. या फिर किसी नोट में नंबर ही ना हो. टेढ़े कटे सिक्के ऐसे कि अशोक की लाट ही गायब हो…नहीं शायद आपने ऐसा कुछ नहीं देखा होगा.
786 नंबर देखकर नोट को सहेजकर रखने वाला कानपुर के मनोज कुमार महेश्वरी में आज भी कुलाचे मार रहा है. उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक से गलत छपी मुद्रा को जमा करने का शौक है. उनके पास टेढ़े-मेढ़े, बदरंग छपे ऐसे नोटों-सिक्कों का दुर्लभ खजाना है, जिसे देखकर लोग चौंक जाते हैं.
कानपुर के रेलबाजार निवासी मनोज कुमार महेश्वरी को बचपन से ऐसे नोटों और सिक्कों को रखने का शौक विरासत में मिला. पिता स्व मदन गोपाल भी ऐसे कलेक्शन रखा करते थे. मनोज के पास अंग्रेजों के जमाने का बड़ा 100 का नोट अद्भुत है, जो उन्हें पिता से मिला था. मनोज के पास टेढ़े-मेढ़े, बदरंग छपे नोटों के साथ ही ढलाई में कटे, खोटे समेत कई खामियों वाले सिक्कों की भी भरमार है. गलत छपे और खराब सिक्कों की इतनी बड़ी संख्या पास में होने पर कहते हैं कि दोस्त, रिश्तेदार, परिचित उनक शौक को अच्छी तरह जानते हैं इसलिए किसी को भी जब ऐसा कोई नोट या सिक्का मिलता है तो वह सीधे उनको दे जाता है. उनकी दीवानगी के सभी कायल हैं.
सिक्कों में अशोक की लाट ही नहीं
मनोज के पास ढलाई में अशोक की लाट समेत कई चीजें गायब होने वाले कई सिक्के भी अच्छी-खासी संख्या में है. एक, पांच, दो के कटे सिक्कों की तो भरमार है. दोनों ओर कुछ भी नहीं लिखा होने वाले सिक्के भी हैं. इसके अलावा बांग्लादेश, नेपाल के नोटों का भी बड़ा कलेक्शन भी मनोज के पास है. मनोज ने बताया कि नेपाल में रहने वाली बहन ने नेपाली और बांग्लोदेश नोट उनके शौक को जानते हुए लाकर दिए थे.
पेशे से एलआईसी एजेंट मनोज के पास दुर्लभतम नोटों में से एक पांच का है जो आधा ही छपा है, इसकी कटाई भी ठीक से नहीं हुई, यह तय आकार से ज्यादा कट गया है. मनोज बताते हैं कि यह नोट उन्हें खरीदारी करते समय किसी से मिला था. पहले तो इसे जाली समझा, लेकिन बाद में छपाई की गलती समझ रख लिया. इसके अलावा बगैर नंबर या फिर तमाम खामियों वाले नोटों की भरमार है.
कानपुर के मनोज महेश्वरी के पास टेढ़े-मेढ़े और बदरंग छपे नोटों का खजाना, रिजर्व बैंक से गलत छपी भारतीय मुद्रा को जमा करने का शौक