केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उत्तराखंड में लागू की गई समान नागरिक संहिता (UCC) एक आदर्श कानून है, जिस पर व्यापक बहस होगी. उसने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकारें इसके बाद हर राज्य में एक समान नागरिक संहिता लागू करेंगी. उनका आरोप था कि कांग्रेस संविधान का अपमान करती है और तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा देती है.
राज्यसभा में संविधान के 75वें वर्ष पर बहस के दौरान, अमित शाह ने कांग्रेस और भाजपा द्वारा संविधान में किए गए बदलावों की तुलना करते हुए कहा कि कांग्रेस ने सत्ता और निजी लाभ के लिए संविधान में बदलाव किए, भाजपा ने लोकतंत्र को मजबूत करने और समान अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए संशोधन किए, लेकिन शाह ने 85 मिनट के अपने भाषण में यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कभी आरक्षण का सम्मान नहीं किया और 50 प्रतिशत की सीमा को तोड़ने की कोशिश की.
“हम लोकतांत्रिक तरीके से काम करते हैं. एक ऐसा कानून जिसे सामाजिक जीवन में बड़े बदलाव लाने वाला माना जाता है, उसे उत्तराखंड ने आदर्श कानून के रूप में पारित किया. यह कानूनी और धार्मिक प्रमुखों द्वारा समीक्षा किया जाएगा और उसके बाद भाजपा सरकारें सभी राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करेंगी.” उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति ने इस कानून को अभी तक लागू नहीं किया है.
क्या है समान नागरिक संहिता(UCC)?
भाजपा के प्रमुख वैचारिक लक्ष्यों में से एक है समान नागरिक संहिता (UCC), जो विभिन्न धर्मों के अनुसार प्रचलित कानूनों को समाप्त कर, भरण-पोषण, संपत्ति का उत्तराधिकार और शादी जैसे मामलों में समान कानून लागू करेगा. 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के घोषणापत्र में भी इसे शामिल किया गया था.
फरवरी 2024 में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक कानून पारित किया गया था, जिसमें महिलाओं को समान अधिकार दिए गए थे, जैसे कि शादी, तलाक, भरण-पोषण और संपत्ति के उत्तराधिकार में. इस कानून में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाया गया था, शादी की पंजीकरणकी आवश्यकता थी, और लिव-इन रिश्तों के लिए स्व-घोषणा या पंजीकरण भी शामिल है. हालांकि यह कानून अभी तक लागू नहीं हुआ है.
उनका आरोप था कि कांग्रेस भारतीय संविधान का अपमान करती थी और धर्म आधारित आरक्षण के पक्षधर थी. शाह ने कहा कि भाजपा ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया और NEET और JEE में ओबीसी विद्यार्थियों को आरक्षण दिया.
शाह ने कांग्रेस के नेता जयराम रमेश की आपत्तिजनक टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस ने कभी मुस्लिम व्यक्तिगत कानून पर अपनी राय नहीं बताई और यह तुष्टिकरण की राजनीति की शुरुआत थी. उन्होंने संविधान को “नेहरू-गांधी परिवार की जागीर” मानने का आरोप लगाया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार समान नागरिक संहिता के पक्ष में अपने विचार व्यक्त किए हैं, जिसे भाजपा ने झारखंड विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण चुनावी वादा बनाया था. अमित शाह ने भी कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह संविधान का पालन नहीं करती थी और आपातकाल के दौरान कई गलतियां करती थीं.