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Tulsi Gowda Passes Away : पद्मश्री सम्मानित पर्यावरणविद तुलसी गौड़ा का निधन

Tulsi Gowda Passes Away : कर्नाटक के कारवार जिले के होनल्ली गांव में प्रसिद्ध पर्यावरणविद तुलसी गौड़ा का सोमवार, 16 दिसंबर को निधन हो गया. वे 86 वर्ष की थीं और लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थीं. तुलसी गौड़ा, जिन्हें ‘वृक्ष माता’ (Mother of Trees) के नाम से जाना जाता था, ने लाखों पेड़ लगाकर और उनका पालन-पोषण कर एक संपूर्ण जंगल विकसित किया.

 तुलसी गौड़ा का जन्म 1944 में हुआ था. वे हलक्की जनजाति से थीं और प्रकृति के प्रति उनका प्रेम बचपन से ही गहरा था. उन्होंने अपने जीवन के 60 वर्षों से अधिक समय पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया. तुलसी गौड़ा को ‘फॉरेस्ट की एनसाइक्लोपीडिया’ भी कहा जाता था क्योंकि उन्हें 300 से अधिक पौधों और पेड़ों की प्रजातियों का गहरा ज्ञान था.

हरियाली की क्रांति की अग्रदूत (Tulsi Gowda Passes Away)

अपने जीवनकाल में, तुलसी गौड़ा ने प्रतिवर्ष 30,000 से अधिक पौधों को रोपित और संरक्षित किया. उन्होंने अब तक लाखों पौधों और पेड़ों का पालन-पोषण किया. पति के निधन के बाद उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश के लिए वन विभाग में दैनिक वेतन मजदूर के रूप में काम शुरू किया. इसके बावजूद, उन्होंने बिना किसी निर्देश या वेतन की अपेक्षा के, वन विभाग के लिए पेड़ लगाना और उनकी देखभाल करना जारी रखा.

तुलसी गौड़ा विभिन्न जंगली पौधों के बीज एकत्र कर उन्हें उगातीं और जंगलों में रोपित करतीं. उन्होंने चुपचाप ग्रीन रिवोल्यूशन को गति दी और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में मिसाल कायम की.

Tulsi Gowda की उपलब्धियां

उनके पर्यावरण संरक्षण कार्यों के लिए भारत सरकार ने उन्हें 2021 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा. इसके अलावा, धारवाड़ कृषि विश्वविद्यालय ने उन्हें उनकी अद्भुत सेवाओं के लिए डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया.

विरासत और योगदान

तुलसी गौड़ा की यह अनोखी विरासत आज भी जीवित है. उनके दो बच्चे और चार पोते-पोतियां हैं. उनके कार्यों ने स्थानीय समुदायों के बीच पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई.

पर्यावरण के क्षेत्र में प्रेरणा

तुलसी गौड़ा का जीवन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है जो पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना चाहता है. उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि प्रकृति से प्रेम और उसकी देखभाल कैसे की जानी चाहिए.

इस बीच, 2019 में पद्मश्री से सम्मानित पर्यावरणविद सालुमरदा थिमक्का की तबीयत भी खराब है. उन्हें 30 नवंबर से अस्पताल में भर्ती कराया गया है और फिलहाल उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है.

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