
केंद्र सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ जुड़कर सेवा प्रदान कर रहे असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों (गिग वर्कर) को पेंशन का लाभ देने जा रही है. इसके लिए ऐसे कर्मियों को ईपीएफओ की कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के दायरे में लाने की तैयारी है.
इस संबंध में कैबिनेट की मंजूरी के लिए जल्द ही प्रस्ताव पेश किया जाएगा. मंजूरी मिलने के बाद पहले वर्ष में ही देशभर में करीब एक से सवा करोड़ कर्मचारियों को पेंशन योजना का लाभ मिलेगा. सूत्रों का कहना है कि पेंशन योजना में शामिल होने के लिए गिग वर्कर पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा. यानी उन्हें कोई अंशदान नहीं देना होगा.
ऑनलाइन मंचों के जरिए वस्तु एवं सेवा प्रदान करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों से कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व निधि के तहत पेंशन से जुड़ा अंशदान लिया जाएगा. इसका मतबल यह है कि इन कंपनियों को अपने कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा के लिए एक से दो फीसदी योगदान देना होगा.
अगर कोई व्यक्ति शुरुआत में गिग वर्क है, लेकिन कुछ समय के बाद सरकारी या संगठित क्षेत्र में नौकरी करता है तो पेंशन में जमा राशि नए पीएफ खाते में हस्तांतरित हो जाएगी.
कौन होते हैं गिग वर्कर
ऑनलाइन ऐप या ई-कॉमर्स कंपनी से जुड़कर कैब चालक, डिलीवरी बॉय या इसी तरह का अन्य काम करने वाले कर्मचारियों को गिग वर्कर कहा जाता है. ये पूरी तरह अस्थायी होते हैं. वर्तमान में इनकी संख्या एक करोड़ से अधिक है, जिसके वर्ष 2029-30 तक बढ़कर 2.35 करोड़ के आसपास होने की संभावना है.
ईपीएफओ ने पांच करोड़ से अधिक दावे निपटाए
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया का कहना है कि चालू वित्तीय वर्ष में ईपीएफओ ने अब तक 5.8 करोड़ से अधिक दावों का निपटारा किया है, जो 2.05 लाख करोड़ से अधिक धनराशि से संबंधित है. जबकि बीते वित्तीय वर्ष में 1.82 लाख करोड़ के 4.45 लाख दावों को निपटान किया गया था. मंत्री ने कहा कि लगातार ईपीएफओ की सेवाओं को बेहतर किया जा रहा है.