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साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए सरकार ने सिम जारी करने के प्रावधानों को सख्त कर दिया है. दूरसंचार कंपनियां नया सिम कार्ड जारी करने से पहले ग्राहकों के पुराने रिकॉर्ड की जांच करेंगी. ग्राहकों की दस अलग-अलग एंगल से फोटो भी ली जाएगी.
सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को डिजिटल इंटिग्रेटेड वेरिफिकेशन सिस्टम लागू करने के निर्देश दिए हैं. नए प्रावधानों के तहत दूरसंचार कंपनियों को कई स्तर पर सत्यापन की प्रक्रिया को पूरा करना होगा, जिसके बाद ही ग्राहक को नया सिम जारी किया जा सकेगा.
इस तरह मिलेगा नया सिम : सबसे पहले ग्राहक का बायोमैट्रिक सत्यापन किया जाएगा. उसके बाद ऑनलाइन जांच की जाएगी कि ग्राहक के नाम पर पहले से कितने सिम जारी हैं. यह भी देखा जाएगा, क्या उसके नाम पर जारी सिम को पहले ब्लॉक तो नहीं किया गया है. अगर सामान्य परिस्थिति में ब्लॉक किया गया है तो इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. मगर धोखाधड़ी या आपराधिक मामले में ब्लॉक किया गया है तो नया सिम जारी नहीं होगा. यह भी जांच होगी कि ग्राहक ने किसी अलग नाम से सिम तो नहीं लिया है. सिम देने से पूर्व ग्राहक के 10 तरीके से फोटो लेकर वेबसाइट पर डाले जाएंगे.
क्यूआर कोड से लॉग-इन कर सकेंगे
नई सुरक्षा प्रणाली के लैपटॉप या डेस्कटॉप लॉगइन करने के लिए क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही कुछ समय के लिए ही इसे एक बार लॉगइन किया जा सकता है. इसके बाद खुद ही खाता लॉग-आउट हो जाएगा.
डीमैट खाता फोन और सिम से जुड़ेगा
शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों के डीमैट और ट्रेडिंग खातों को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए सेबी बड़ा बदलाव करने जा रहा है. अब यूपीआई की तर्ज पर ट्रेडिंग खाते को पंजीकृत मोबाइल और सिम कार्ड से लिंक करना अनिवार्य होगा.
यह प्रणाली यूपीआई की तरह सिम बाइंडिंग पर आधारित होगी, जहां निवेशक के विशेष क्लाइंट कोड, मोबाइल उपकरण के आईएमईआई नंबर और सिम का सत्यापन अनिवार्य आवश्यक होगा. शुरुआत में इस प्रणाली को 10 प्रमुख ब्रोकर कंपनियों पर लागू किया जाएगा.