
छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला मामले में निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू, सौम्या चौरसिया और व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच में काफी समय लगेगा, इसलिए समय लेने वाली प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी गवाह को प्रभावित करने, सबूतों से छेड़छाड़ करने या जांच में बाधा डालने में लिप्त पाया जाता है, तो राज्य सरकार अंतरिम जमानत रद्द कराने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है और उस स्थिति में अंतरिम जमानत रद्द कर दी जाएगी. बता दें कि इन सभी हाई प्रोफाइल आरोपियों को एंटी करप्शन ब्रांच की ओर से दाखिल मुकदमे में अंतरिम जमानत मिली है.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि जांच में समय लगेगा और इस दौरान किसी भी प्रकार की जल्दबाजी से बचते हुए आरोपियों को अंतरिम जमानत दी जा रही है. यह जमानत इस शर्त पर दी गई है कि जमानत मिलने के बाद भी आरोपी उचित आचरण बनाए रखें और अदालत के आदेशों का पालन करें. साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि मामले में सरकार याचिकाकर्ताओं के आचरण पर रिपोर्ट प्रस्तुत करे, ताकि मामले की जांच में पारदर्शिता बनी रहे.
इस फैसले को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सुनाया. जस्टिस सूर्यकांत ने अपने आदेश में कहा, “हम किसी भी प्रकार की जल्दबाजी में नहीं हैं और न ही जांच में कोई हस्तक्षेप करने का इरादा रखते हैं, बल्कि हम केवल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आरोपी अपनी जमानत की शर्तों का पालन करते हुए निष्पक्ष जांच में सहयोग करें.”