
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के पूर्व अध्यक्ष और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपी ललित मोदी को जोरदार झटका लगा है. वानूआतू के प्रधानमंत्री ने उनके पासपोर्ट का रद्द करने का आदेश दे दिया है. वहीं ललित मोदी ने कुछ दिन पहले ही लंदन के भारतीय दूतावास में भारत के पासपोर्ट को भी सरेंडर कर दिया था. ऐसे में ललित मोदी के आगे ‘ना घर के ना घाट के’ वाली स्थिति हो गई है.
विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की थी कि ललित मोदी ने अपना पासपोर्ट सरेंडर करने का आवेदन कर दिया है. ललित मोदी 2010 में भारत से भागने के बाद लंदन में ही रह रहे थे. कई बार उन्होंने इंटरव्यू भी दिया और खुद को बेकसूर बताया है. भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के बाद पता चला कि उन्होंने प्रशांत महासागर के द्वीपीय देश वानूआतू का नागरिकता ले ली है. उन्हें गोल्डन पासपोर्ट मिल गया है. दरअसल वानूआतू अमीर लोगों को अपने देश की नागरिकता खरीदने की अनुमति देता है. लगभग 1.3 करोड़ रुपये ही खर्च करके वहां का पासपोर्ट लिया जा सकता है. हालांकि रिपोर्ट्स में बताया गया कि वानूआतू के पीएम ने अपने सिटिजनशिप कमीशन को उनका पासपोर्ट रद्द करने का आदेश दे दिया है.
इस बात की जानकारी अब तक नहीं है कि वानूआतू ने यह कदम स्वतः उठाया है या फिर भारत के दखल के बाद यह फैसला लिया गया है. वानूआतू को फ्रांस और ब्रिटेन से 1980 में ही स्वतंत्रता मिली थी. इस समय 83 छोटे-छोटे ज्वालामुखी द्वीपों से बने इस देश की कुल जनसंख्या तीन लाख के ही आसपास है. पर्यटन के लिहाज से यह देश काफी अच्छा माना जाता है.
भारत का था दबाव?
ललित मोदी भारतीय एजेंसियों की पकड़ से दूर जाने की पूरी योजना बना चुके थे. माना जा रहा था कि दूसरे देश की नागरिकता मिलने के बाद उनका प्रत्यर्पण बहुत मुश्किल हो जाएगा. वानूआतू की मीडिया में बताया गया है कि भारत के दबाव के बाद ही प्रशासन ने ललित मोदी पर एक्शन लेने का फैसला किया है. रिपोर्ट यह भी कहती है कि न्यूजीलैंड में भारत की उच्चायुक्त नीता भूषण ने ललित मोदी का पासपोर्ट रद्द करवाने में बड़ी भूमिका निभाई है. वानूआतू को पहले जानकारी नहीं थी कि ललित मोदी का रिकॉर्ड क्या है. भगोड़ा होने की जानकारी मिलने के बाद उनपर एक्शन लिया गया है.