सरकार ने बिजली कम्पनियों के लिए जारी की गाइडलाइन, निवेशकों के लिए भी है खास
गर्मियों का मौसम आते ही याद आने लगती हैं कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम, शेक आदि और इसके साथ ही शुरू होती है पंखे की सफाई, एसी की सर्विस। इस साल भीषण गर्मी की आशंकाओं के बीच बिजली की मांग भी काफी बढ़ रही है। इसीलिए भारत सरकार ने Electricity Act के Emergency Provision का इस्तेमाल करते हुए कोयला आधारित पावर प्लांट्स को सजग कर दिया है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में बिजली की मांग में भारी बढ़त देखी जा सकती है। इसलिए Ministry of Power ने गाइडलाइन जारी करते हुए सभी कोल आधारित पावर प्लांट को घरेलू कोयले के साथ-साथ बाहर से भी पहले ही कोयला आयात करने की बात कही है। यह गाइडलाइन 16 मार्च से 15 जून तक लागू रहेंगी।
बीते साल मई महीने में भी सरकार ने बिजली की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए ऐसी गाइडलाइन जारी की थी, जिसमें सभी कोल आधारित पावर प्लांट को अपनी कुल खपत का लगभग 10% हिस्सा निर्यात करने को कहा था।
बात अगर पिछले साल की बिजली की मांग की करें अप्रैल 2022 में बिजली की मांग अपने उच्चतम स्तर पर यानी लगभग 201 गीगावाट थी, जो कि जुलाई 2021 में 200 गीगावाट से ज्यादा थी। अगर बात इस वित्त वर्ष की की जाए तो इस साल बिजली की मांग लगभग 229 गीगावाट तक होने की संभावना है। ऐसे में इसके एक बड़े हिस्से की आपूर्ति कोल बेस्ड थर्मल पावर प्लांट से होनी है। इस साल देश के कोल आधारित पावर प्लांट पर लगभग 193 गीगावाट बिजली के उत्पादन का दबाव रहेगा। ऐसे में देश में कोयले की मांक के काफी बढ़ने की संभावना है, जिसके लिए सरकार ने कोयला कम्पनियों को चेतावनी देते हुए पहले ही गाईडलाइन जारी करने को कहा है।
ये आंकड़े सुन के कहीं दिमाग तो नहीं घूमने लगा, तो चलिए अब बात करते हैं आपके पैसे की। मौसम विभाग की ताजा चेतावनी से एक बात तो स्पष्ट है कि आने वाले समय भीषण गर्मी पड़ेगी, ऐसे में एयर कण्डीशनर और फ्रिज की मांग भी काफी ज्यादा बढ़ेगी। इन कम्पनियों के स्टॉक्स भी बढ़ सकते हैं।
आपके पैसे से जुड़ी दूसरी महत्वपूर्ण जानकारी
Ministry of Power ने कोयला कम्पनियों को कोयला आयात करने के लिए गाईडलाइन जारी की है, साथ ही कहा है कि बाहर से कोयला लाकर बिजली उत्पादन करने से कम्पनियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा व उनकी लागत बढ़ जाएगी। ऐसे में कम्पनियां बिजली की कीमतें भी बढ़ा सकती हैं। जिसके लिए सरकार ने बाद में बिजली की कीमतें सुनिश्चित करने के लिए DISCOMs यानी डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनीज और पावर प्लांट को आपस में बात कर एक कीमत निर्धारित करने को भी कहा है। यानी कि हो सकता है कि बिजली की कीमतें भी बढ़ जाएं।