रोड सेफ्टी पर खर्च नहीं हो रहा पूरा पैसा, संसदीय समिति ने जताई हैरानी
सड़क परिवहन के सबसे अहम विषय रोड सेफ्टी को लेकर अगले वित्तीय वर्ष के दौरान कोई विशिष्ट लक्ष्य न तय किए जाने पर एक संसदीय समिति ने हैरानी जताई है। मार्ग दुर्घटनाओं और उनमें होने वाली मृत्यु के मामले में दुनिया में सबसे खराब रिकार्ड होने के बावजूद सड़क परिवहन मंत्रालय की अगले वित्तीय वर्ष की योजनाओं के मसौदे में ऐसा कोई लक्ष्य नहीं रखा गया है कि दुर्घटनाओं की संख्या कितनी सीमित करनी है।
परिवहन आयुक्तों की ओर से कम मांग
परिवहन से संबंधित संसद की स्थायी समिति की सोमवार को दोनों सदनों में रखी गई रिपोर्ट में मंत्रालय से पूछा है कि 2023-24 के आउटपुट-आउटकम मानिटरिंग फ्रेमवर्क में संख्या संबंधी कोई लक्ष्य न शामिल किए जाने का कारण क्या है। समिति ने कहा है कि रिसर्च, ट्रेनिंग, अध्ययन और सड़क सुरक्षा से जुड़े अन्य विषय बेहद अहम हैं, लेकिन पिछले पांच सालों का यह रुझान रहा है कि पूरे पैसे का उपयोग तक नहीं हो पाता।
यही कारण है कि जहां समग्र आवंटन कई गुना बढ़ गया है वहीं इस मद के लिए आवंटन जहां का तहां है। मंत्रालय ने इसका कारण कोविड का असर और परिवहन आयुक्तों की ओर से कम मांग बताया है, लेकिन समिति ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया। समिति ने कहा है कि इसी दौरान कुल खर्च लगातार नब्बे प्रतिशत के आसपास है, लेकिन इस मद में खर्च कोरोना के पहले से कम बना हुआ है। यहां तक कि 2022-2023 में मंत्रालय ने जनवरी के अंत तक केवल 23.2 प्रतिशत खर्च किया है।
परियोजनाओं की लागत बढ़ जाने की चिंता
समिति ने सुझाव दिया है कि मंत्रालय इस अहम मसले पर नया जज्बा दिखाए और राज्यों के साथ बैठकर यह समझने की कोशिश करे कि आखिर इस अहम मसले पर उनकी अरुचि का कारण क्या है। 57 प्रतिशत काम, 87 प्रतिशत खर्चसमिति ने मंत्रालय की इस बात के लिए भी खिंचाई की है कि इस साल 12 हजार किलोमीटर सड़क निर्माण का लक्ष्य जनवरी तक केवल 57 प्रतिशत पूरा हो पाया, जबकि 2022-23 के संशोधित बजटीय अनुमान की 87 प्रतिशत धनराशि खर्च हो गई।
समिति ने कहा है कि ऐसा लगता है कि जितना कम समय और पैसा बचा है, उसे देखते हुए मंत्रालय कांट्रैक्ट अवार्ड करने तथा निर्माण के मामले में लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगा। मंत्रालय को इसकी तह में जाना चाहिए कि परियोजनाओं की लागत बढ़ जाने की चिंता क्यों उत्पन्न हो गई है। अब अगले साल के लिए मासिक अथवा त्रैमासिक लक्ष्य तय करते हुए देश के अलग-अलग हिस्सों में बारिश की संभावना को भी ध्यान में रखना चाहिए।