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बैंक में चोरों ने काटे 42 लॉकर, सायरन तक नहीं बजा

लखनऊ में अयोध्या हाईवे किनारे तीन घंटे चोर इंडियन ओवरसीज बैंक में वारदात करते रहें. 42 लाॅकर काटकर करोड़ों के जेवर समेट कर भाग निकले. इस घटना ने पुलिस कमिश्नर द्वारा पिछले माह 11 नवंबर को गठित की गई नाइट जोनल पुलिसिंग के कलई खोल दी. कमिश्नर द्वारा गठित नाइट जोनल पुलिसिंग की टीम अगर सक्रिय होती तो इतनी बड़ी वारदात न होती. उधर, बैंक में सुरक्षा के लिए लगा सायरन खराब पड़ा था. वहीं, उपभोक्ताओं ने बताया कि बैंक में कोई गार्ड नहीं रहता है. दिन में भी कोई सुरक्षा कर्मी नहीं रहता है. यह हाल तब है जब दो माह पहले बैंक में लगे एसी की आउडोर यूनिट चोरों ने चोरी कर ली थी. इसके पूर्व एटीएम से भी छेड़छाड़ हो चुकी है.

पुलिस कमिश्नर द्वारा रात्रि अपराध नियंत्रण और चेकिंग के लिए एक एडीसीपी और दो एसीपी नियुक्त किए गए थे. कमिश्नर द्वारा बनाई गई एसओपी में स्पष्ट लिखा गया था कि रात्रि में होने वाले अपराधों की रोकधाम के लिए एक अपर पुलिस उपायुक्त (ऑपरेशनल कमांडर) और दो सहायक पुलिस आयुक्त (सहायक ऑपरेशनल कमांडर) की नियुक्ति की है. यह अफसर रात्रि 11 बजे से सुबह छह बजे तक सक्रिय रहेंगे. ऑपरेशनल कमांडर रात्रि में थाने में अतिरिक्त निरीक्षकों, गश्त करने वाले पुलिस कर्मियों की गतिविधियों पर नजर रखेंगे. तीनों अफसर जोनल चेकिंग करेंगे. इसके साथ ही किसी भी अप्रिय घटना, अपराधिक वारदात पर तत्काल कार्रवाई करेंगे. तीनों अफसर शहर के ड्यूटी स्थलों पर पुलिस की मौजूदगी सुनिश्चित कराएंगे. संदिग्धों की चेकिंग के लिए पीआरवी की गश्त की भी जांच करेंगे.

लॉकर का किराया तय करेगा मुआवजे की राशि

लाकर का किराया उपभोक्ताओं के मुआवजे की राशि तय करेगा. बैंक में छोटे, बड़े और मध्यम साइज के लाकर का किराया एक से चार हजार रुपये के बीच होता है. उसी किराए के 100 गुना राशि का इंश्योरेंस होता है. केनरा बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रबंधक सर्व मित्र भट्ट के मुताबिक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के एक्ट 2021 के अनुसार बैंक के लाकर का किराया एक से चार हजार के बीच वार्षिक होता है. लाकर में कितना और कौन से जेवर रखे हैं? इसकी जानकारी बैंक कर्मचारियों को नहीं होती है. यह जानकारी सिर्फ उपभोक्ता को होती है. उपभोक्ता चाहे जितना जेवर अपने लॉकर में रखे. अगर कोई दुर्घटना अथवा अपराधिक घटना बैंक में होती है. उसमें उपभोक्ता के लाकर में रखा माल नष्ट हो जाए. ऐसी स्थिति में एक्ट के तहत किराए के 100 गुना अधिक राशि ही उपभोक्ता को दी जाएगी, न कि उसके जेवरों की कीमत की भरपाई बैंक करेगा.

बैंक अफसरों की भी घोर लापरवाही सामने आई

करोड़ों की चोरी में बैंक अफसरों की भी घोर लापरवाही सामने आई है. बैंक में सुरक्षा के लिए लगा सायरन खराब पड़ा था. दरअसल अगर सायरन बजता तो थाने को सूचना समय रहते मिल जाती. अफसरों की लापरवाही के कारण इतनी बड़ी वारदात हो गई. इस संबंध में जब एडीसीपी पंकज सिंह ने बैंक मैनेजर से सायरन के बारे में पूछा तो उन्होंने गोल-मोल जवाब दिया. एडीसीपी के मुताबिक बैंक मैनेजर ने बताया कि चोरों ने सायरन उखाड़ दिया था. एडीसीपी का दावा था कि अगर चोर सायरन उखाड़ते तो उसका मैसेज आता. इस पर बैंक मैनेजर ने जवाब दिया नहीं आया. एडीसीपी ने बताया कि इस संबंध में बैंक के जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी.

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