भारतीय करंसी नोटों के निर्माण को पूरी तरह से स्वदेशी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इनमें इस्तेमाल होने वाले सुरक्षा फीचर जो एक खास किस्म के पिग्मेंट (विशेष प्रकार का रंग) से बने होते हैं, उनका निर्माण भी देश में ही होगा.
वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की दिल्ली स्थित प्रयोगशाला नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी (एनपीएल) इस पर काम कर रही है. एनपीएल के निदेशक प्रोफेसर वेणुगोपाल आचंटा ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि एनपीएल ने इन पिग्मेंट के निर्माण के लिए काम शुरू कर दिया है. अलग-अलग रंगों के इन पिग्मेंट को करंसी नोटों में सुरक्षा फीचर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. हर नोट के लिए अलग रंग के पिग्मेंट की जरूरत होती है. अभी इन्हें विदेशों से आयात किया जाता है. पिग्मेंट तैयार करने के लिए एनपीएल और करंसी नोट तैयार करने वाली एजेंसी भारतीय प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड के बीच करार हुआ है. एनपीएल के वैज्ञानिकों की टीम तेजी से इस पर काम कर रही है. जल्द इन पिग्मेंट का निर्माण कर लिया जाएगा.
करंसी नोट में मुख्यत तीन घटक करंसी नोट तैयार करने में मुख्यत तीन अहम चीजें होती हैं. एक कागज, दूसरा स्याही और तीसरा सुरक्षा फीचर पिग्मेंट. आजकल नोट बनाने में कॉटन से बना कागज इस्तेमाल होता है, जिसकी देश में पहले से ही उपलब्धता है. आने वाले दिनों में तीनों चीजें स्वदेश निर्मित ही इस्तेमाल हो सकेंगी.
छपाई के लिए स्याही भी तैयार
प्रोफेसर वेणुगोपाल ने बताया कि इसके अलावा करंसी नोटों की छपाई के लिए स्याही भी एनपीएल ने तैयार की है, जिसकी तकनीक एरोन इंटरनेशनल को हस्तांतरित की गई है. यह स्याही ऑप्टिकली वेरियबल होती है, जो अलग-अलग कोण से देखने पर भिन्न नजर आती है. बता दें कि एनपीएल ही वह एजेंसी है, जिसने वोट डालने के बाद अंगुली पर लगाई जाने वाली अमिट स्याही विकसित की है. इसका कई अन्य देशों में भी इस्तेमाल हो रहा है.