चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो इतिहास रचने को तैयार है. सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला मिशन आदित्य-एल 1 मंजिल के करीब पहुंच गया है. शनिवार को इसरो अंतरिक्ष यान को सूर्य की अंतिम कक्षा एल-1 में स्थापित करेगा. भारत इस सफलता के बाद सोलर मिशन क्षेत्र में दुनिया का तीसरा देश बन जाएगा. बता दें, आदित्य-एल 1 यान को पिछले साल 2 सितंबर को लॉन्च किया गया था.
180 वॉट ऊर्जा पैदा की
इसरो ने बताया कि कक्षीय प्लेटफॉर्म पोयम-3 में 100 वॉट वर्ग की पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेमब्रेन फ्यूल सेल आधारित ऊर्जा प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. पोयम-3 का पीएसएलवी-सी58 से एक जनवरी को प्रक्षेपण किया गया था. इस प्रयोग का उद्देश्य अंतरिक्ष में पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेमब्रेन फ्यूल सेल के संचालन का आकलन करना है. पोयम में परीक्षण के समय उच्च दाब वाले कंटेनर में रखी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैस से 180 वॉट ऊर्जा उत्पन्न की गई.
पहली जनवरी को लॉन्च पीएसएलवी एक्सपोसैट के सभी उपकरण अब धीरे-धीरे चालू हो गए हैं हमें जल्द ही नतीजों के बारे में पता चल जाएगा. -एस सोमनाथ, इसरो प्रमुख
सात पेलोड से लैस है आदित्य
आदित्य एल-1 अपने साथ सात पेलोड लेकर गया है. ये सभी पेलोड स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं. इसमें से चार पेलोड सीधे सूर्य की ओर देखेंगे और शेष तीन लैंग्रेज बिंदु पर कणों और क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे.
क्या है एल-1 बिंदु
लैंग्रेज-1 (एल-1) बिंदु वह स्थान है, जहां पृथ्वी और सूर्य दोनों के गुरुत्वाकर्षण के बीच संतुलन रहता है. यह बिंदु सूर्य के सबसे निकट माना जाता है. इससे सूर्य को बिना किसी ग्रहण के देखा जा सकता है.
इसरो ने शुक्रवार को एक ईंधन सेल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. अंतरिक्ष में भविष्य के अभियानों के लिए प्रणालियों के डिजाइन के लिए आंकड़े एकत्रित करने के लिए यह परीक्षण किया. इसरो ने कहा कि ये ईंधन सेल अंतरिक्ष में बिजली उत्पादन का भविष्य हैं.
गैसों से बनेगी बिजली
एजेंसी ने कहा, इसने विभिन्न स्थैतिक और गतिशील प्रणालियों के प्रदर्शन पर प्रचुर मात्रा में डाटा प्रदान किया है, जो बिजली प्रणाली और भौतिकी का हिस्सा थे. हाइड्रोजन ईंधन सेल शुद्ध जल और ऊष्मा के साथ ही सीधे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैस से बिजली उत्पन्न करते हैं. ईंधन सेल को इस्तेमाल होने वाले विभिन्न प्रकार के वाहनों में इंजन के स्थान पर सबसे उचित विकल्प माना जाता है. इसरो ने कहा कि ईंधन सेल अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक आदर्श ऊर्जा स्रोत है.
अब तक की यात्रा
● 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश ध्वन स्पेस सेंटर से आदित्य-एल1 यान को प्रक्षेपित किया गया.
● 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद इसे सफलतापूर्वक पृथ्वी की 235 गुना 19500 किलोमीटर की अण्डाकार कक्षा में स्थापित किया गया.
● 19 सितंबर को मिशन की गति को अंजाम देने के लिए इसरो ने पहला मैनुअवर किया गया.
● 6 अक्तूबर को यान को दूसरी बार और 9 अक्तूबर को तीसरी बार मैनुअवर किया.
● 20 नवंबर को आदित्य के पेलोड ने सूरज की अलग-अलग रंगों की तस्वीरें ली
● दिसंबर में इसरो ने एक बार और यान के पथ की सही दिशा में लाने के लिए मैनुअवर चरण को अंजाम दिया.