नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार कानूनों का आधुनिकीकरण कर रही है. देश में आज जो कानून बन रहे हैं वे कल के भारत को और मजबूती प्रदान करेंगे.
उच्चतम न्यायालय की हीरक जयंती (75वीं वर्षगांठ) समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक युग के तीन आपराधिक कानूनों को खत्म कर उनकी जगह बनाए गए नए कानूनों के कारण देश की कानूनी, पुलिस और जांच प्रणाली नए युग में प्रवेश कर गई है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मजबूत न्यायिक प्रणाली विकसित भारत का मुख्य आधार है. सरकार भरोसेमंद न्यायिक प्रणाली बनाने के लिए लगातार काम करने के साथ इस दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले ले रही है. जन विश्वास विधेयक इसी दिशा में उठाया गया कदम है. प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि भविष्य में इससे न्यायिक प्रणाली पर अनावश्यक बोझ कम होगा.
लोकतंत्र की मजबूती का प्रयास प्रधानमंत्री कहा कि संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्रता, समानता और न्याय के सिद्धांतों के साथ एक स्वतंत्र भारत का सपना देखा था. सुप्रीम कोर्ट ने इन सिद्धांतों की रक्षा को निरंतर प्रयास किए हैं. चाहे वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हो, व्यक्तिगत स्वतंत्रता हो या सामाजिक न्याय, शीर्ष अदालत ने हमेशा भारत के जीवंत लोकतंत्र को लगातार मजबूत करने का काम किया है.
दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी मोदी ने कहा कि भारत की आज की आर्थिक नीतियां कल के उज्ज्वल भारत का आधार बनेंगी. दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हैं, क्योंकि भारत के प्रति दुनिया का विश्वास मजबूत हो रहा है. ऐसे समय में भारत के लिए जरूरी है कि वह हर अवसर का पूरा लाभ उठाए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की मौजूदा बिल्डिंग में आप सभी को आ रही दिक्कतों से भी भलीभांति अवगत हूं. उन्होंने कहा कि दिक्कतों को दूर करने के लिए पिछले सप्ताह ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिंग के विस्तार के लिए 800 करोड़ रुपये की मंजूरी दी. केंद्र ने अदालतों में भौतिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 7000 करोड़ रुपये से अधिक दिए हैं.
समय पर न्याय जरूरी मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालतों के लंबे अवकाश पर पुनर्विचार की आवश्यकता है. कार्यक्रम में उन्होंने कहा, यह जरूरी है कि मामलों की सुनवाई बेवजह न टले, बहस लंबी न हो ताकि फैसला आने में देरी नहीं हो. उन्होंने कहा कि न्यायिक संस्थाओं पर सिर्फ समर्थ और सक्षम लोगों का ही दबदबा न हो. वंचित तबके के लोगों को भी वकालत के पेशे में आने का मौका मिले.