दुर्ग में मौजूद है पॉलीटेक्निक और आईटीआई का दूसरा विकल्प
भिलाई . जल्द ही सीजी बोर्ड और सीबीएसई दोनों ही कक्षा 12वीं के नतीजे जारी करेंगे. संभावना है कि 10 मई तक दोनों बोर्ड के परिणाम आ जाएं. ऐसे में बच्चे और उनके पैरेंट्स दोनों ही कॅरियर चुनने को लेकर चिंतित हैं. दुर्ग जिला शिक्षा के लिहाज से तकनीक पर विशेष जोर देता है. ऐसे में तकनीकी शिक्षा अब सिर्फ आईटीआई, पॉलीटेक्निक या इंजीनियरिंग तक सीमित नहीं है. रसमड़ा (बोरई) में एमएसएमई मंत्रालय का टेक्नोलॉजी सेंटर भी युवाओं के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. 25 एकड़ में फैले टेक्नोलॉजी सेंटर को 125 करोड़ से तैयार किया गया है.
दसवीं फेल से लेकर ग्रेजुएट युवाओं को तकनीक के क्षेत्र में आगे लाने ऐसी अत्याधुनिक मशीने उपलब्ध हैं, जिन्हें सामान्य संस्थान स्थापित नहीं कर पाएंगे. यह सरकारी संस्थान है जो एडवांस डाई मेकिंग से लेकर थ्रीडी प्रिंटिंग जैसे विभिन्न कोर्स कराता है. सबसे खास बात यह है कि यहां उपलब्ध सभी कोर्स की मान्यता छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (सीएसवीटीयू) से है. पढ़ाई पूरी करने के बाद डिप्लोमा भी सीएसवीटीयू ही देगा.
आधुनिक क्लास – सेंटर में लगने वाली क्लास रूम बहुत सी हाईटेक सुविधाएं से लैस है. पूरा भवन फायर अलार्म व अन्य सुविधाओं से लैस है. क्लास में स्मार्ट बोर्ड से लेकर कैमरा और अन्य तकनीकी उपकरण मौजूद हैं.
ट्रेनिंग – इस ट्रेनिंग सेंटर में एससी, एसटी विद्यार्थियों के लिए शिक्षा नि:शुल्क होगी. जबकि सामान्य विद्यार्थी नॉमिनल शुल्क अदा करेंगे. कोर्स व उनमें सीटों की संख्या वेबसाइट पर देखी जा सकती है.
हाईटेक लैब – टेक्नोलॉजी सेंटर में करीब 15 करोड़ की मशीनें लगाई गई हैं. कुछ आधुनिक मशीनें आने वाली हैं. यहां वह मशीनें लगाई गई हैं, जिन्हें अभी विदेशों में उपयोग किया जा रहा है. इनमें हाथ जमने के बाद विदेश में नौकरी के रास्ते भी खुलेंगे.
प्रोडक्शन – यह सेंटर सिर्फ पढ़ाई के लिए ही नहीं है, बल्कि छोटे और मझले उद्योग भी अपनी जरूरत पूरी कर पाएंगे. ऐसे प्रोडक्ट जो अभी तक उद्योगों को बाहर से इम्पोर्ट करने होते हैं, उन्हें सेंटर बनाकर देगा.
इसमें विद्यार्थियों की भी सहभागिता होगी. प्लास्टिक मोल्ड, टूल बनाएंगे.
प्लेसमेंट – एमएसएमई का यह सेंटर अपने युवाओं के लिए नौकरी का बंदोबस्त भी करेगा. इसके लिए मंत्रालय द्वारा संपर्क नाम का पोर्टल तैयार किया गया है, जिसमें सिर्फ वही रजिस्टर्ड हो पाएंगे, जिन्हें टेक्नोलॉजी सेंटर से प्रमाणित किया है. बड़ी कंपनियों में भी युवाओं को प्लेसमेंट उपलब्ध हो पाएगा.
हॉस्टल – फिलहाल लड़के और लड़कियों के लिए पहले से ही हॉस्टल तैयार किया गया है, लेकिन भविष्य में हजारों की संख्या में विद्यार्थियों की संख्या को समझते हुए मंत्रालय ने हॉस्टल विस्तार के लिए रणनीति बनाई है.
पाठ्यक्रम – सेंटर में विद्यार्थियों को 6 महीने से लेकर दो साल तक के कोर्स में प्रवेश मिलेगा. इसके बाद प्रायोगिक में पकड़ आने के बाद ही इनको सर्टिफिकेट मिलेगा. करीब 20 तरह के कोर्स हैं.