रायपुर: हर वार्ड में सफाई का लोचा, स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग पर लग रहा पलीता
रायपुर: शहर की सफाई व्यवस्था सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है. इसलिए हर साल राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में नगर निगम फिसड्डी बना हुआ है. जबकि, निगम प्रशासन ने हर वार्ड की जनसंया के अनुपात में किसी वार्ड में 35, किसी में 40 तो किसी में 45 सफाई कर्मचारियों के हिसाब से ठेका दिया है, ताकि नालियां, सड़कों की सफाई हो सके. लेकिन जब भी किसी वार्ड में जांच हुई है तो मौके पर तय संया से 15 से 20 कामगार कम ही मिले हैं. इसके बावजूद भी सफाई ठेकेदारों पर निगम प्रशासन शिकंजा नहीं कस पा रहा है.
राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण 2023-24 के नतीजे में रायपुर 11वें नंबर पर आया. जिसमें सुधार लाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. निगम के स्वास्थ्य अधिकारियों ने सफाई ठेकेदारों की चोरी पकड़ने के लिए निष्ठा ऐप में हर दिन सफाई कामगारों की उपिस्थति दर्ज कराना अनिवार्य किया. इसके बावजूद ऐप में ज्यादा कर्मियों की तय संया मनमानी दर्ज की जाने लगी और सफाई कराने में कम संया में लगाने का खेल शुरू हो गया. निगम की पिछले डेढ़ महीने की रिपोर्ट बताती है कि करीब 20 से 25 वार्डों में औचक निरीक्षण करने पर किसी भी वार्ड में तय संया के अनुपात में सफाई करते हुए कर्मचारी नहीं मिले. ऐसे में सफाई ठेकेदारों के बिल भुगतान में जुर्माना के रूप में 10 से 15 हजार रुपए की कटौती की गई.
ऐसे किसी वार्ड का ठेका निरस्त नहीं किया
निगम के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार वार्ड की सफाई में ठेकेदारों की चोरी कई बार निरीक्षण के दौरान पकड़ी गई है. जिन पर केवल जुर्माने की ही कार्रवाई की गई. ऐसे किसी भी वार्ड का सफाई ठेका निरस्त नहीं किया गया, क्योंकि निगम में राजनीति हावी है. इसका खामियाजा वार्ड की जनता को भुगतना पड़ता है. वार्डों की सड़कों और नालियों की सफाई खानापूर्ति के रूप में होने से स्वच्छता का माहौल नहीं बन पाया है.