नई दिल्ली: भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने ‘यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाओं’ (यूलिप) को ‘निवेश उत्पाद’ के रूप में प्रचारित करने पर रोक लगा दी है.
भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण ने कहा है कि बीमा सेवा मुहैया करवाने वाली कंपनियों द्वारा ‘यूनिट-लिंक्ड’ या ‘इंडेक्स-लिंक्ड’ बीमा उत्पादों को ‘निवेश उत्पाद’ के रूप में विज्ञापित नहीं किया जाएगा. बीमा नियामक इरडा द्वारा इस निर्देश के जारी हो जाने के बाद बीमा कंपनियां अब यूलिप प्लान बेचने में हेर-फेर नहीं कर पाएंगी.
सभी विज्ञापनों में बताना होगा कि उत्पाद के बोनस या पिछले परफॉर्मेंस को भविष्य के लिए गारंटी नहीं माना सकता है यानी आने वाले समय में उतना ही रिटर्न मिलेगा, ऐसा दावा नहीं किया जा सकेगा. जैसे किसी प्लान ने पिछले पांच साल में 30 फीसदी रिटर्न दिया हो तो वो अगले पांच साल में भी 30 फीसदी रिटर्न देगा, ऐसा दावा कंपनियां नहीं कर सकेंगी.
बीमा कंपनियों को स्पष्ट रूप से यह बताना होगा कि यूलिप पारंपरिक पॉलिसियों से भिन्न हैं और उनमें जोखिम भी होता है.
कंपनियों को बोनस वाली बंदोबस्ती पॉलिसियों को लेकर पहले ही बताना होगा कि मुनाफे में अनुमानित बोनस की गारंटी नहीं है. इरडा ने कहा कि परिवर्तनीय वार्षिकी भुगतान विकल्प के साथ लिंक्ड बीमा उत्पादों और वार्षिकी उत्पादों के सभी विज्ञापनों में जोखिम कारकों का खुलासा किया जाएगा.
क्या होता है यूलिप बीमा
यूलिप ऐसे उत्पाद होते हैं, जिनमें शेयर बाजार में निवेश किया जाता है. इसके साथ ही प्लान के आधार पर बीमा कवर मिलता है. इसमें ग्राहकों को बीमा सुरक्षा के साथ इक्विटी और बॉन्ड में निवेश, दोनों का विकल्प मिलता है. इसके लिए पॉलिसीधारक एक नियमित प्रीमियम भुगतान करता रहता है, जो बीमा को कवर करता है और इस प्रीमियम का एक हिस्सा इक्विटी, बॉन्ड या दोनों में किए गए निवेश की ओर जाता है. ऐसे में इसमें जोखिम होता है क्योंकि यह प्लान शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है.
क्यों लगाई गई रोक
दरअसल, कई बीमा कंपनियां यूलिप बीमा उत्पाद को निवेश विकल्प के रूप में प्रस्तुत करती हैं. इसके विज्ञापन और प्रचार-प्रसार में भी कंपनियां और एजेंट इस प्रोडक्ट को निवेश के रूप में बताते हैं. इरडा को इस बात से नाराजगी है कि बीमा उत्पाद को सुरक्षा के लिहाज से ही पेश किया जाना चाहिए, न कि निवेश के विकल्प के तौर पर.