कम उम्र में मधुमेह (टाइप-1) होने पर अक्सर मरीज नकारात्मक विचारों से घिर जाता है. पढ़ाई, कॅरिअर, नौकरी, शादी, घर-परिवार की चिंताएं उसे परेशान करती हैं. ऐसे मरीजों को योग-ध्यान से बड़ा लाभ मिलने की बात एक शोध में प्रमाणित हुई है. इसमें पता चला कि केवल 20 मिनट का योग-ध्यान मधुमेह पर नियंत्रण के साथ जीने का जोश भी बढ़ा देता है.
शोध यूपी रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया के पूर्व चेयरमैन डॉ ऋषि शुक्ला का है, जिसे मेडिकल साइंस जर्नल ने प्रकाशित किया है. शोध में 40 मरीजों को शामिल किया गया, जो 16-30 की उम्र के थे. 20-20 मरीजों के दो समूह बनाए गए. एक समूह को सिर्फ दवा तो दूसरे को दवा संग योग-ध्यान कराया गया. योग-ध्यान करने वालों का शुगर तो नियंत्रण में रहने ही लगा. तनाव कम हुआ और वे खुश रहने लगे. सकारात्मक विचार आने लगे. वहीं, केवल दवा के सहारे मधुमेह से निपटने में लगे दूसरे समूह ने बीमारी पर नियंत्रण तो पाया पर अन्य कोई खास बदलाव नहीं दिखा.
टाइप-1 और 2 डायबिटीज
टाइप-1 को किशोर मधुमेह या इंसुलिन-निर्भर मधुमेह के रूप में जाना जाता है. इसमें अग्न्याशय की बीट कोशिकाएं बहुत कम या बिल्कुल भी इंसुलिन नहीं बनाती हैं. इन्हें सामान्य से अधिक प्यास लगती है. बार-बार पेशाब करना पड़ता है. कमजोरी महसूस होती है. टाइप-2 डायबिटीज तब होती है जब शरीर इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता. यह हृदय रोग, किडनी रोग व स्ट्रोक का कारण बन सकती है.
छह माह के शोध का निष्कर्ष रहा कि ध्यान-योग व दवा डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के साथ जीने का जज्बा भी देता है. भरपूर नींद के अलावा कम तनाव व हमेशा खुश रहने जैसे अच्छे परिणाम भी मिले. – डॉ ऋषि शुक्ला, पूर्व चेयरमैन यूपी आरएसएसडीआई
छह बार तेजी से सांस अंदर खींचना और फिर तेजी से बाहर छोड़ना
मरीज को सीधे बैठाने के बाद आंखों को धीरे से बंद करने को कहा
● दवा संग योग-ध्यान करने वालों का शुगर नियंत्रित हुआ, नींद भी आने लगी
● सिर्फ दवा के सहारे वालों ने बीमारी पर नियंत्रण पाया पर अन्य खास बदलाव नहीं दिखा