बजट सत्र में विपक्ष और आक्रामक होगा
नई दिल्ली: लोकसभा के बाद सात राज्यों की 13 विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के परिणाम का असर बजट सत्र में दिखाई देगा. इस जीत से उत्साहित इंडिया गठबंधन आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर सरकार को और ताकत के साथ घेरने की कोशिश करेगा. ऐसे में बजट सत्र के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ सकता है.
इंडिया गठबंधन 18वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र में सरकार को मजबूत विपक्ष का अहसास करा चुका है. विपक्ष ने नीट के मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की थी पर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब के बाद दोनों पक्षों में दूरियां बढ़ी है. सरकार के 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने के ऐलान से टकराव और बढ़ सकता है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इन उपचुनाव में जीत से हमारे हौसले बढ़े हैं. इन परिणाम से साफ हो गया है कि मतदाताओं का भाजपा से भरोसा उठ गया है. इस जीत का जहां चार राज्यों के चुनाव में राजनीतिक लाभ मिलेगा, वहीं संसद के बजट सत्र में भी इसका असर दिखाई देगा. विपक्षी खेमा और आक्रामकता के साथ आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर सरकार को घेरेगा. रणनीतिकार मानते हैं कि उपचुनाव में इंडिया गठबंधन के बेहतर प्रदर्शन से महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में गठबंधन की जीत की संभावनाएं और प्रबल हुई हैं. इन चार में से तीन राज्यों में कांग्रेस इंडिया गठबंधन के घटकदलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी, जबकि हरियाणा में कांग्रेस अकेले चुनाव में उतरने की तैयारी में है.
पेश हो सकता है बीमा कानून संशोधन विधेयक
सरकार 2047 तक सभी के लिए बीमा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आगामी बजट सत्र के दौरान बीमा अधिनियम, 1938 में संशोधन करने वाला विधेयक पेश कर सकती है. विधेयक का मसौदा तैयार है. इसे मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा जाना है. दिसंबर, 2022 में बीमा अधिनियम, 1938 और बीमा विनियामक अधिनियम, 1999 में प्रस्तावित संशोधनों पर टिप्पणियां आमंत्रित की थीं.
ये होंगे बदलाव
इससे विभेदित बीमा कंपनियों का प्रवेश बैंकिंग क्षेत्र में संभव हो सकेगा. बैंकिंग क्षेत्र को इस समय यूनिवर्सल बैंक, लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंक के रूप में वर्गीकृत किया गया है. समग्र लाइसेंस के प्रावधान से जीवन बीमा कंपनियों को स्वास्थ्य बीमा या सामान्य बीमा पॉलिसियों को अंडरराइट करने की अनुमति मिलेगी. बीमा अधिनियम, 1938 के प्रावधानों के अनुसार, जीवन बीमा कंपनियां केवल जीवन बीमा कवर ही दे सकती हैं, जबकि साधारण बीमा कंपनियां स्वास्थ्य, मोटर, आग लगने जैसे गैर-बीमा उत्पाद दे सकती हैं. इरडा बीमा कंपनियों के लिए समग्र लाइसेंसिंग की अनुमति नहीं देता है.
ये प्रावधान किए जा सकते हैं शामिल
समग्र लाइसेंस, अंतर पूंजी, सॉल्वेंसी मानदंडों में राहत, कैप्टिव लाइसेंस जारी करना, निवेश नियमों में बदलाव, मध्यवर्तियों के लिए एकमुश्त पंजीकरण और बीमा कंपनियों को अन्य वित्तीय उत्पाद वितरित करने की अनुमति देना.
ये फायदे होंगे
सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन से पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा मिलेगा, पॉलिसीधारकों को अच्छा रिटर्न मिलेगा, अधिक प्रतिभागियों का प्रवेश आसान बनेगा जिससे आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा. बीमा उद्योग की परिचालन और वित्तीय दक्षता में वृद्धि होगी तथा कारोबार को आसान बनाया जा सकेगा.
विपक्ष के एक वरिष्ठ सांसद ने कहा कि संसद के बजट सत्र में विपक्षी खेमा सदन में आम आदमी, किसान और युवाओं के मुद्दों को उठाएगा. विपक्ष इस सत्र के दौरान उन सभी मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा, जो आने वाले विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के मुख्य चुनावी मुद्दे होंगे. उन्होंने कहा कि विपक्ष लोकसभा के मुद्दों को आधार बनाकर चुनाव लड़ेगा.