दिल्ली. हरियाणा के आसन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका लगने की आशंका सामने आई है. उत्तर प्रदेश में गुटबाजी से जूझ रही भाजपा को ऐसी ही स्थिति बने रहने पर भारी नुकसान का आकलन सामने आया है. यह दोनों ही आकलन स्वयं भाजपा के ही हैं. यही वजह है कि एक ओर स्वयं केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हरियाणा की कमान संभाल ली है. जबकि उप्र में गुटबाजी खत्म करने के लिए पार्टी अध्यक्ष जेपी नडडा ने ताबड़तोड़ प्रदेश नेताओं से बैठक शुरू कर दी है. भाजपा को अपने आतंरिक आकलन में यह पता चला है कि
हरियाणा में इस समय जो स्थिति है. उसमें चुनाव होने पर भाजपा को 25-30 सीट तक मिल सकती है. पिछले चुनाव में भाजपा को 40 सीट हासिल हुई थी. इसकी सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि राज्य में जिस तरह से भाजपा ने गैर जाट वर्ग की राजनीति की है. उससे भाजपा को गैर जाट वर्ग वोट बैंक के धुव्रीकरण का लाभ तो हुआ है. लेकिन जाट वोट बैंक उससे दूर हो गया है. लेकिन इस बीच जिस तरह से भाजपा ने जाट वर्ग से आने वाली किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी को पार्टी में शामिल किया. किरण चौधरी को राज्यसभा सीट का आश्वासन दिया. उससे गैर जाट वर्ग में एक नाराजगी उत्पन्न हो रही है. यही नहीं, भाजपा ने राजस्थान के पूर्व भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया को प्रदेश चुनाव प्रभारी जाट वर्ग को साधने के उददेश्य से किया है. लेकिन इससे गैर जाट वर्ग को यह लग रहा है कि अगर भाजपा चुनाव जीत जाती है तो जाट वर्ग को इस बार बड़ा प्रतिनिधित्व मिल सकता है.
कांग्रेस को हो सकता है लाभ मौजूदा समय में हरियाणा में सबसे अधिक लाभ कांग्रेस को हो सकता है. उसे राज्य में 55-60 सीट मिलने की उम्मीद की जा रही है. वहीं, इस बार राज्य में आम आदमी पार्टी को भी कुछ सीटों पर सफलता मिलने की संभावना जाहिर की जा रही है. उप्र में भी भाजपा को बड़ा झटका लगने की आशंका सामने आई है.