बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष के पत्नी से बिगड़े रिश्तों में आत्महत्या करने के बीच हरियाणा में तलाक का एक दिलचस्प केस आया है. राज्य के करनाल जिले के एक दंपति ने जीवन के 7वें दशक में तलाक लिया है. दोनों ने अपनी 44 साल पुरानी शादी को तोड़ दिया है और पति ने 3 करोड़ रुपये सेटलमेंट के तौर पर 73 साल की महिला को दिए हैं. जीवन के अंतिम पड़ाव में चल रहे बुजुर्ग दंपति ने 18 साल की कानूनी लड़ाई के बाद अलगाव का फैसला लिया है. 70 साल के पति का कहना था कि उनकी 73 वर्षीय पत्नी मानसिक क्रूरता करती है और वह उससे तंग आ चुके हैं.
सेटलमेंट की रकम चुकाने के लिए पति ने अपनी खेती की जमीन बेच दी और 3 करोड़ रुपये अदा कर दिए. पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दोनों के तलाक पर मुहर लगाई गई. दोनों की 27 अगस्त, 1980 में शादी हुई थी. उनके दो बेटियां और एक बेटा हैं. करीब 25 साल तक यह संबंध अच्छा चला, लेकिन फिर कड़वाहटें पैदा होने लगीं. 8 मई, 2006 का दिन वह था, जब उनके रिश्ते ने अलग ही मोड़ लिया और वे अलग-अलग रहने लगे. इसके बाद पति ने मानसिक क्रूरता का आरोप लगाते हुए 2013 में तलाक का केस फाइल कर दिया था. वहां से अर्जी खारिज हुई तो फिर हाई कोर्ट पहुंचे.
यहां 11 साल मुकदमा चलने के बाद उन्हें तलाक मिला है और पत्नी को गुजारे के लिए 3 करोड़ रुपये की रकम देने के बाद वह रिश्ते से अलग हो गए हैं. सेटलमेंट की यह रकम कैश, डिमांड ड्राफ्ट, सोना-चांदी के जरिए दी जाएगी. साफ है कि जिंदगी भर की कमाई को पति सेटलमेंट के तौर पर देने को तैयार है. अब तक मिली जानकारी के अनुसार यह रकम चुकाने के लिए बुजुर्ग ने 2.16 करोड़ रुपये की जमीन बेची है.
इसके अलावा 50 लाख रुपये कैश अदा किए हैं, यह रकम फसलें बेचकर जुटाई है. वहीं 40 लाख रुपये के जेवर भी वह दे रहे हैं. इस समझौते में यह भी तय हुआ है कि यदि बुजुर्ग की मौत हो जाती है, तब भी पत्नी और उसके बच्चों को संपत्ति पर कोई हक नहीं रहेगा. यह फैसला हाई कोर्ट के जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने सुनाया.