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थके हैं, पर रात में नींद आती नहीं!

अकसर आपने खुद को यह दोहराते हुए पाया होगा कि दिनभर की थकान के बाद भी रात में नींद नहीं आती. बिस्तर पर पहुंचते ही नींद गायब हो जाती है. अगर ऐसा है तो जान लें कि इसका संबंध तनाव व आंतों में रहनेवाले सूक्ष्मजीवियों से हो सकता है.

वैज्ञानिकों के अनुसार, सूरज ढलने के साथ ही आंतों में रहनेवाले सूक्ष्मजीवियों की संरचना बदल जाती है. रात के सूक्ष्मजीव सक्रिय हो जाते हैं. वे कुछ खास रसायन स्रावित करते हैं, जो नींद में मदद करते हैं. इनमें कुछ रसायन दिमाग के हाइपोथैलेमस हिस्से तक संकेत भेजते हैं, वही हिस्सा जो तनाव को संतुलित करनेवाले हार्मोंस को जारी करने का संदेश देता है. मसलन, बहुत गर्मी होने पर शरीर में पसीना आना या फिर विषाक्त खाद्य पदार्थ खाने पर पेट खाली करने के लिए बार-बार टॉयलेट जाना.

लेखक स्कॉट सी एंडरसन, साइकोलॉजी टूडे में अपने एक लेख में लिखते हैं, ‘ज्यादातर तनाव और उसके लिए हमारी प्रतिक्रिया त्वरित होती है. पर लंबे समय का तनाव दिमाग और आंतों पर भी असर पड़ता है. हमारे शरीर की एक जैविक घड़ी होती है, जिसे सर्कैडियन रिदम कहते हैं. तनाव और हमारी आंतों में रहनेवाले सूक्ष्मजीवी भी इस बॉडी क्लॉक से जुड़े होते हैं. ऐसे में खाना समय पर न खाना या देर रात में खाने पर सूक्ष्मजीवियों का जैविक घड़ी से तालमेल गड़बड़ा जाता है. शरीर में तनाव बढ़ाने वाले हार्मोंस बढ़ने लगते हैं और नींद की समस्या होने लगती है.’

यूनिवर्सिटी कॉलेज कोर्क में चूहों पर हुए अध्ययन में सूक्ष्मजीवियों के तनाव और सर्कैडियन रिदम पर होनेवाले प्रभाव को देखा गया. ऐसे में अगर रात को नींद नहीं आती है तो आंतों के सूक्ष्मजीवियों की देखभाल करना आपके काम आ सकता है. जहां नशीले पदार्थ और मिठाई आपकी आंतों की दुश्मन हैं, वहीं आंतों में रहनेवाले सूक्ष्मजीवियों के लिए प्रीबायोटिक फाइबर दोस्त हैं. प्रीबायोटिक चीजों के सेवन से सूक्ष्मजीवी शरीर के लिए फायदेमंद पदार्थ पैदा करते हैं व आंतों की परत को मजबूत बनाते हैं. ये पदार्थ मस्तिष्क तक पहुंचकर तंत्रिका कोशिकाओं की बेहतरी के लिए भी काम करते हैं. अच्छी नींद चाहिए तो अपनी आंतों की बेहतरी के लिए फाइबर से भरपूर खाद्यपदार्थ खाएं. देर रात खाने से बचें.

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