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वृंदावन में ठाकुरजी की सर्दकालीन सेवा व्यवस्था में परिवर्तन, सर्दियों में बदलेगी पोषाक, खाने में भी परिवर्तन

जैसे-जैसे ठंड के मौसम दस्तक दे रहा है, वैसे-वैसे मंदिरों और देवालयों में भी सर्दी की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं। आराध्य ठाकुरजी को सर्दी से बचाने के लिए विशेष प्रकार की सेवाएं आरंभ हो रही हैं। अब ठाकुरजी को पतले रेशमी और सूती वस्त्रों की जगह गर्म ऊनी पोशाक, रजाई, कंबल और टोपी जैसे सर्दियों के शृंगार से सजाया जा रहा है। हर वर्ष की तरह इस बार भी कार्तिक पूर्णिमा से मंदिरों में ठाकुरजी की सर्दकालीन सेवा व्यवस्था में परिवर्तन किए जा रहे हैं। धर्मनगरी के लगभग सभी मंदिर-देवालयों में ठाकुरजी के लिए सर्दियों के विशेष शृंगार तैयार किए जा रहे हैं। ठाकुरजी के लिए रेशमी, ऊनी, मखमली और रेशमी धागों से कढ़ाईदार वस्त्र बनवाए जा रहे हैं। सेवा भावी भक्तों द्वारा मंदिरों में ही हाथ से बुने कंबल, रजाइयाँ और पोशाकें भेंट की जा रही हैं। वहीं, देश के साथ-साथ विदेशों में भी ठाकुरजी के ऊनी शृंगार का विशेष आकर्षण देखा जा रहा है। वृंदावन के पोशाक वस्त्र निर्माता इन दिनों ठाकुरजी के लिए ऊनी पोशाकों के ऑर्डर पूरे करने में व्यस्त हैं।

इन सुंदर और आकर्षक पोशाकों को विभिन्न देशों में भी भेजा जा रहा है, जहाँ भारतीय भक्त मंदिरों में ठाकुरजी की सेवा में इनका उपयोग करते हैं। सिर्फ वस्त्र ही नहीं, बल्कि भोग में भी मौसम के अनुरूप परिवर्तन किया गया है। अब ठाकुरजी को ठंडी तासीर वाले फलों और मिठाइयों की जगह गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों का भोग अर्पित किया जा रहा है। इसमें गुड़, सूखे मेवे, अदरक, इलायची, और तुलसी मिश्रित विशेष पेय पदार्थों को भी शामिल किया गया है। श्रद्धालुओं में भी इन सेवाभावों को लेकर गहरी उत्सुकता है। कई भक्त स्वयं ठाकुरजी की ऊनी पोशाकें, मोजे, टोपी, और शाल बनाकर अर्पित कर रहे हैं। मंदिरों में आने वाले भक्त इन सर्दकालीन शृंगारों को देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं। ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के सेवायत आचार्य मयंक गोस्वामी वंटू महाराज ने बताया कि सर्दी का यह मौसम भक्तों के लिए केवल ठंडक नहीं, बल्कि सेवा, प्रेम और भक्ति की ऊष्मा लेकर आता है। ठाकुरजी के प्रति यह भावपूर्ण सेवा परंपरा न केवल भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि आराध्य के प्रति प्रेम, मौसम या परिस्थिति नहीं, बल्कि समर्पण और भाव से जुड़ा होता है।

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