
नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सुरक्षाबलों की कार्रवाई काफी तेज हो गई है। जिन जंगलों को नक्सली अपने लिए सबसे सुरक्षित मानते थे, अब वहां उनको घेरा जा चुका है। नक्सली कमांडरों की तलाश में अब सुरंगों की पड़ताल चल रही है। एजेंसियों को आशंका है कि कुछ नक्सल कमांडर सघन जंगलों में सुरंग या बंकर बनाकर छिपे हो सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि सुरक्षाबल अलग-अलग ठिकानों को तलाश रहे हैं। नक्सली छत्तीसगढ़ के जंगलों से भागकर अगर आसपास के सीमावर्ती इलाकों में जाते हैं तो वहां भी जबरदस्त घेराबंदी की गई है। कई राज्यों की पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों के बीच नजदीकी समन्वय बना हुआ है। एक उच्च अधिकारी ने कहा कि हमारे सामने लक्ष्य और समय सीमा स्पष्ट है। नक्सलियों को लग रहा था कि बरसात में सुरक्षाबलों का अभियान रुकेगा और वे सुरक्षित स्थानों पर निकल जाएंगे पर ऐसा नहीं हुआ।
माओवादी हताश
नक्सलरोधी अभियान से नक्सलियों में पूरी तरह हताशा का माहौल है। नक्सल संगठनों ने स्वंय स्वीकारा है कि पिछले एक साल में 357 से ज्यादा नक्सली मारे जा चुके हैं। इनमें से 136 महिलाएं हैं। सबसे बड़ा नुकसान दंडकारण्य में हुआ है जहां 281 नक्सली मारे गए हैं। मारे गए नक्सलियो में चार सीसी मेंबर और करीब 15 राज्य कमेटी मेंबर हैं।
जमीनी लड़ाई की क्षमता खो चुके हैं नक्सल कमांडर
एक अधिकारी ने कहा हिडमा सहित गिने चुने बचे नक्सल कमांडर भी जमीनी लड़ाई की क्षमता खो चुके हैं। लगातार नक्सली मारे जा रहे हैं या समर्पण कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि कुछ महीनों तक लगातार सुरंगों की खोज का अभियान सभी जंगल के इलाकों में चलाया जाएगा। सुरंग की तलाश जारी है।