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स्मार्टफोन से कुछ दिन की दूरी लत से बचाने में मददगार

स्मार्टफोन और टेक्नोलॉजी की दुनिया में इसकी लत से बचने के लिए डिजिटल डिटॉक्स यानी कुछ दिन दूरी बनाना जरूरी है. एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक डिजिटल डिटॉक्स के जरिए इस लत को काबू किया जा सकता है. लेकिन, इससे छुटकारा पाने के लिए अभी कुछ और तरीके निकालने की जरूरत है.

विशेषज्ञों ने बताया कि खराब स्क्रीन टाइम से बचना चाहिए यानी सिर्फ काम की चीजों के लिए फोन पर समय बिताना चाहिए. मानसिक शांति के लिए छुट्टी पर जाने वाले लोगों की दस्तावेजों और तस्वीरों के लिए भी फोन पर निर्भरता को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है.

डिजिटल डिटॉक्स से जुड़े करीब 21 अध्ययनों की समीक्षा करने के बाद विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे हैं. उनकी इस रिपोर्ट को न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित किया गया है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर एडम गैजले के अनुसार मोबाइल से रोजाना दूरी बनानी होगी. इसके लिए नोटिफिकेशन बंद रखना चाहिए. जब जरूरत न हो तो फोन कोे दूर रखें.

तय समय के बाद ज्यादा सतर्कता की जरूरत

रिपोर्ट में डिजिटल डिटॉक्स विशेषज्ञ सूजंग-किम पैंग ने बताया कि फोन से कुछ दिनों के लिए दूरी बनाना काफी नहीं है. लोग 10 दिनों तक डिवाइस से दूर रहने के बाद 11वें दिन उन्हीं के बीच लौट जाएंगे. निश्चित समय के लिए लोग मोबाइल और सोशल मीडिया से दूरी बना लेते हैं. ऐसे में 11वें दिन सतर्क रहना जरूरी है.

क्या है डिजिटल डिटॉक्स

डिजिटल डिटॉक्स का मतलब है खुद को डिजिटल दुनिया से दूर करना. इसमें लोग खुद को कुछ घंटों, दिनों या महीनों तक अपने स्मार्टफोन और इंटरनेट से दूरी बनाने का लक्ष्य तय करते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार लोगों को वर्चुअल दुनिया में रहने की आदत हो जाती है. वो चाहकर भी इससे निकल नहीं पाते. ऐसे में तकनीक के मायाजाल से खुद को दूर रखने के लिए कुछ समय के लिए डिजिटल छुट्टी पर जाने को ही डिजिटल डिटॉक्स कहते हैं. इस छुट्टी में लोग मोबाइल, इंटरनेट व तकनीक से दूर रहते हैं.

स्मार्ट फोन से दूर रहने के ये हैं फायदे

मोबाइल, लैपटॉप जैसे गैजेट्स से घिरे रहने के कारण लोगों में एक तरह की बेचैनी है. इसका असर रिश्तों पर पड़ रहा है. इस वर्चुअल वर्ल्ड के चलते हम अपनी आसपास की दुनिया से दूर हो रहे हैं. डिजिटल डिटॉक्स इसी समस्या का हल बनकर सामने आया है. टेक्नोलॉजी से घिरे युवाओं के लिए यह एक बेहद अहम थैरेपी बनती जा रही है.

नशे की लत जैसी हैमोबाइल की लत

मार्क बेनिऑफ सेल्सफोर्स चीफ एग्जीक्यूटिव 10 दिन के डिजिटल डिटॉक्स पर गए. उन्होंने बताया कि स्मार्ट डिवाइस की छोड़ने पर वे बेहतर महसूस कर रहे हैं. किताब ‘द शालोस’ के लेखक निकोल कैर मानते हैं कि डिजिटल डिटॉक्स नशे की लत छुड़ाने जैसा है. एक दशक पहले तकनीक से दूरी बनाना मुश्किल नहीं था, लेकिन आज हालात बदल चुके हैं.

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