भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ी बनाने वाली कंपनियों के ऊपर में कार्यवाही शुरू हो गई है. कई कंपनियां जिन्होंने केवल बाहर से सामान मंगा कर असेंबल करके भारतीय ग्राहकों को थमा दिया है और मजे के तौर पर सरकारी सब्सिडी का पैसा लिया है उन्हें अब वैसे लौटाने के लिए आदेश दे दिए गए हैं.
इलेक्ट्रिक वाहनों के ज्यादा दाम वसूलने की शिकायतों को लेकर सरकार की तरफ से सख्ती को देखते हुए कंपनियों ने खुद ही आगे बढ़कर ज्यादा ली गई रकम ग्राहकों को वापस करने का फैसला लिया है.
अधिकारी के मुताबिक अब गाड़ियों की ओवरप्राइसिंग शिकायतों के संबंध में ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ कोई और कार्रवाई नहीं करेगा. दरअसल, कंपनी ने 30 अप्रैल, 2023 को एआरएआई को लिखे अपने पत्र में कहा था कि वह वित्त वर्ष 2019-20 से 30 मार्च, 2023 तक ओला एस1 प्रो मॉडल स्कूटर खरीदते समय चार्जर अलग से बेचने की कीमत ग्राहकों को वापस करेगी.
ओला की गाड़ी खरीदने के साथ लोगों को चार्जर के लिए अलग से पैसे देने पड़े थे. ओला के द्वारा इस तरीके से चार्जर बेचना महंगा पड़ गया है और सरकार के नए आदेश के साथ ही ओला को अब 130 करोड़ रुपए वापस अपने ग्राहकों को करना होगा.
इन लोगों को वापस किया जाएगा पैसा
ओला कंपनी ने चार्जर सॉफ्टवेयर के नाम पर ग्राहकों से अलग से पैसे वसूले थे. अब वापस रिफंड पाने के लिए वह सारे ग्राहक हकदार होंगे जिन्होंने ओला के साथ खरीदारी 2019 से लेकर 30 मार्च 2023 तक किया है. इसमें मुख्य रूप से वही लोग शामिल होंगे जिन्होंने चार्जर एक्सेसरीज के तौर पर पैसे दिए हैं और उसका खरीदारी किया है.